बाजवा ने बनाई गुंजाईश

बाजवा ने बनाई गुंजाईश

बहुत दिनों बाद पाकिस्तान की फौज के किसी अफसर से एक समझदारी की बात सामने आई है जो कि युद्धोन्माद से परे है। सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने भारत से रिश्ते सुधारने की वकालत की है। उन्होंने पाकिस्तान के सांसदों को आश्वासन दिया है कि पाकिस्तानी सेना उनके प्रयासों का समर्थन करेगी। पाकिस्तान की सीनेट कमेटी की बैठक में दिए अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा, सेना भारत के साथ संबंध सामान्य करने के तहत उठाए गए राजनीतिक कदमों का समर्थन करती है। पाकिस्तानी सेना को लेकर आम तौर पर माना जाता है कि वह भारत के खिलाफ रहती है इसलिए उसके मौजूदा मुखिया के इस बयान को महत्वपूर्ण माना जा रहा है और साथ ही बेहद संदिग्ध भी। इसके पीछे छिपे राज की परतें उघे़डे बिना बाजवा जैसों के बयानों पर खास ध्यान तो नहीं दिया जा सकता जो पूर्व में आईएसआई जैसी कुख्यात एजेंसियों के मुखिया रह चुके हैं। यह संदेह बाजवा ने सही भी साबित कर दिया। भारत से दोस्ती की बातों के बीच ही उन्होंने भारत के खिलाफ भी कई बातें कहीं। जनरल बाजवा को सीनेट के अध्यक्ष रजा रब्बानी ने आमंत्रित किया था। उनके साथ आईएसआई के प्रमुख नवीद मुख्तार भी थे। बहरहाल, कश्मीर मसले के समाधान पर उनका बयान हैरान करने वाला था। इससे पहले अब तक पाकिस्तानी सेना के किसी भी जनरल ने कश्मीर मुद्दे का समाधान शांतिपूर्ण ढंग से ढूंढने की बात नहीं कही। बाजवा का इरादा कुछ भी रहा हो, भारत मानता है कि प़डोसी के साथ तनाव घटाने के लिए जब कभी कोई बात सामने आती है तो उसका इस्तेमाल करना चाहिए। किसी भी देश की फौज को बहुत सारे मुद्दों का इलाज जंग में दिखता है। । सद्भावना के अलावा कोई जरिया भारत पाक के पास नहीं है। फौजी तनाव किसी के काम का नहीं है। अब जनरल बाजवा ने जो कहा वह पाकिस्तान में बहुत लोकप्रिय बात नहीं मानी जाएगी, लेकिन वह बात बहुत महत्वपूर्ण है और भारत की तरफ से उसका कोई फौजी जवाब न जाकर, लोकतांत्रिक जवाब जाना चाहिए। जब-जब कोई देश अपनी विदेश नीति फौजी अफसरों पर छो़डता है तो वह आमतौर पर जंग की बातें करने लगते हैं। भारत एक अधिक मजबूत लोकतंत्र है और उसे ऐसी बातों से बचना चाहिए। किसी भी तरफ से एक सकारात्मक पहल हुई है तो उसे आगे ब़ढाने की जरूरत है।

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