विश्व में हथियारों की नहीं, शांति की जरूरत है: समकित मुनि
'भारतीय संस्कृति में आज भी इंसानियत बसती है'

विश्व भारतीय संस्कृति को अपना ले तो शांति का सपना साकार हो सकता है
चेन्नई/दक्षिण भारत। दुनिया में अरबों मनुष्य जी रहे है लेकिन कैसे जीना यह बहुत कम समझ पाते है। यह विचार समकित गुरुजी ने व्यक्त किए। उन्होंने आगे कहा कि इंसान का चोला मिलना अलग बात है। इंसानियत का जागरण होना अलग बात है।
जिस दिन विश्व के सभी मनुष्य में इंसानियत आ जाएगी, सारी हिंसा मारकाट आतंकवाद सब खत्म हो जायेंगे। आज विश्व को हथियारों की नहीं शांति की जरूरत है, शांति हथियारों को बढ़ाकर नहीं खत्म करने से होगी।उन्होंने कहा कि भारत शांति प्रिय राष्ट्र है। भारत की संस्कृति में अहिंसा को महत्व दिया है। भारतीय संस्कृति में आज भी इंसानियत बसती है। ऋषि मुनियों का देश होने से जन्म से ही प्रेम सादगी इंसानियत नैतिकता सद्भावना की शिक्षा प्राप्त होती है। विश्व यदि भारतीय संस्कृति को अपना ले तो विश्व शांति का सपना साकार हो सकता है।
9 जुलाई को चमत्कारिक लोगस्स की आराधना तथा मांगलिक का आयोजन होने जा रहा है जिसकी तैयारी करने में समाज लगा हुआ है, इसी दिन से एक हजार आठ तेले तपस्या का भी शुभ आगाज होने जा रहा है। हजारों की संख्या में तपस्वीगण के भाग लेने की सम्भावना है।
सोमवार को भीलवाड़ा नंदुरबार जलगांव आदि स्थानों से भक्तों का आना हुआ। चतुर्मासिक प्रवचन नित्य सवा नौ से होंगे जिसमें जीवन निर्माण की कला व्यक्तित्व विकास के सूत्र महापुरुषों के प्रेरणादायी प्रसंगों के माध्यम से अच्छा नागरिक बनने की शिक्षा प्रदान की जाएगी।
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