गुरु के प्रति श्रद्धा, शक्ति, समर्पण भाव रहेगा तो ही चातुर्मास सफल होगा: नरेश मुनि
गुरु ज्येष्ठ पुष्कर भवन में संतों का हुआ प्रवेश

मुनिद्वय ने भवन में मांगलिक प्रदान किया
बेंगलूरु/दक्षिण भारत। शहर के गुरु ज्येष्ठ पुष्कर जैन चेरिटेबल ट्रस्ट व आराधना केन्द्र के तत्वावधान में उपप्रवर्तकश्री नरेशमुनिजी, शालिभद्रमुनिजी व साध्वीश्री दर्शनप्रभाजी ने सोमवार को सुबह चातुर्मास प्रवेश व ध्वजारोहण किया। अक्कीपेट स्थानक भवन से संतों की शोभायात्रा प्रारंभ हुई जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। देशभर से भी अनेक श्रावक श्राविकाएं भी प्रवेश कार्यक्रम में शामिल हुए।
विभिन्न मार्गों से होते हुए संत पुष्कर भवन पहुंचे और शुभ मुहूर्त में भवन में प्रवेश किया। प्रवेश के पश्चात मुनिद्वय ने भवन में मांगलिक प्रदान किया तथा लाभार्थियों ने ध्वजारोहण किया। प्रवेश करने के बाद साधु-साध्वी बिन्नी मिल ग्राउंड पर बने सभागार पहुंचे जहां धर्मसभा का आयोजन किया। संतों ने मंगलाचरण किया।युवती मंडल व महिला मंडल ने स्वागत गीत गाया। बाहर गांव से आए अनेक वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए। ट्रस्ट के अध्यक्ष नेमीचन्द सालेचा ने सभी का स्वागत किया। महामंत्री महावीरचन्द मेहता ने नरेशमुनिजी, शालिभद्रमुनिजी व अन्य साध्वियों का स्वागत करते हुए आराधना केन्द्र की विकास यात्रा का वर्णन किया। उन्होंने महोत्सव में मिले सभी के सहयोग के लिए लाभार्थियों को धन्यवाद दिया।
मीठालाल भंसाली ने भी अपने विचार व्यक्त किए।साध्वीश्री समृद्धिश्री जी ने कहा कि चातुर्मास में गुरु हमें जगाने आते हैं। साध्वीश्री मेघाश्री ने कहा कि चातुर्मास में हमारे जीवन में भक्ति, तप, प्रेम का प्रवेश होना चाहिए। साध्वीश्री दर्शनप्रभाजी ने कहा कि इस चातुर्मास में स्थानकवासी महासंघ द्वारा निर्धारित नियमों की पालना करते हुए हमें ज्यादा से ज्यादा धर्म ध्यान में जुटना है।
साध्वीश्री सत्यप्रभाजी ने भजनों के माध्यम से कहा कि चार माह में जप, तप के साथ त्याग के अनेक कार्य होने चाहिएं। चातुर्मास आत्मनिर्जरा का पर्व है। संचालन करते हुए मुनिश्री शालिभद्रजी ने कहा कि चातुर्मास प्रवेश का माहौल बहुत ही उल्लासमय व भव्य है, इस माहौल को हमें आगामी चार माह बरकरार रखना होगा तभी हमारा चातुर्मास सफल होगा। जो जो सभा संस्था व मंडल इस आयोजन में जुड़े हैं उनकी जिम्मेदारी बनती है कि चार माह के कार्यकाल में अपनी-अपनी जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन करते हुए रूपरेखा बनानी होगी।
शालिभद्रजी ने भी स्थानकवासी महासंघ के नियमों का उल्लेख करते हुए कहा कि हमें इस चातुर्मास में अनुशासन में रहते हुए नियमों का पालन करना है। मुनिश्री ने कुछ दिनों पहले आयोजित हुए समस्त समाज के सत्संग कार्यक्रम का जिक्र करते हुए कहा कि हमें उस कार्यक्रम से अनुशासन सीखना चाहिए।
उन्होंने सभी उपस्थितजनों से तपस्या, एकासना व सामायिक क्षेत्र में अधिक से अधिक कार्य करने की सलाह दी उन्होंने सभी को सामायिक वेश में प्रवचन में आने की तथा अपने अपने क्षेत्र के चातुर्मास को भी संभालने की बात कही।
अपने प्रवेश कार्यक्रम में उपप्रवर्तक नरेशमुनिजी ने कहा कि चातुर्मास तभी ऐतिहासिक होगा जब इसमें जप, तप और त्याग की बहार बनी रहे। उन्होंने कहा कि जो गुरु के प्रति समर्पित होते हैं उनका हमेशा अच्छा ही अच्छा होता है। गुरु हमेशा अच्छे पथ पर बढ़ने की सलाह देते हैं। गुरु की कभी भी निंदा नहीं करनी चाहिए। गुरु के प्रति श्रद्धा, शक्ति, समर्पण भाव रहेगा तो ही चातुर्मास सफल होगा। गुरु ज्येष्ठ पुष्कर नरेश चातुर्मास व्यवस्था समिति, जैन सेवा संगठन, महिला मंडल व युवती मंडल ने विभिन्न व्यवस्था संभाली।
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