तमिलनाडु के सरकारी स्कूल, कॉलेज छात्रावासों को 'सामाजिक न्याय छात्रावास' कहा जाएगा: एमके स्टालिन
कहा- द्रमुक शासन में लिंग या जाति सहित किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होगा

Photo: MKStalin FB Page
चेन्नई/दक्षिण भारत। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सोमवार को घोषणा की कि स्कूल और कॉलेज के गरीब छात्रों के लिए राज्य द्वारा संचालित छात्रावासों को अब ‘सामाजिक न्याय छात्रावास’ कहा जाएगा।
उन्होंने कहा कि द्रमुक शासन में लिंग या जाति सहित किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होगा, जो सामाजिक न्याय और समावेश के सिद्धांत पर आधारित है और राज्य सरकार के सभी कार्यक्रम इसी महान लक्ष्य की ओर उन्मुख हैं।मुख्यमंत्री ने यहां एक बयान में कहा, 'तमिलनाडु में विभिन्न विभागों द्वारा छात्रों के लिए संचालित किए जा रहे स्कूल और कॉलेज छात्रावासों को अब से 'सामाजिक न्याय छात्रावास' कहा जाएगा। इसमें किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होगा।'
उन्होंने याद दिलाया कि राज्य विधानसभा में घोषणा की थी कि जाति को संदर्भित करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द 'कॉलोनी' आधिकारिक अभिलेखों से हटा दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने बताया, 'चूंकि यह प्रभुत्व का प्रतीक, अस्पृश्यता का प्रतीक बन गया है, इसलिए इस शब्द को सरकारी दस्तावेजों और सार्वजनिक डोमेन से हटाने के लिए कदम उठाए जाएंगे।'
स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपनी अपील दोहराई कि एससी/एसटी समुदाय के नामों के अंत में ‘एन’ और ‘ए’ शब्द को शामिल कर उनकी गरिमा बहाल की जाए।
उन्होंने आगे बताया कि स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से 25 जून को एक सरकारी आदेश जारी किया गया था, जिसमें स्कूली छात्रों के बीच जातिगत और सांप्रदायिक संघर्ष तथा मतभेदों को रोकने और उनमें सद्भाव और सद्गुणों को विकसित करने के उपाय बताए गए थे।
राज्य सरकार ने स्कूलों में जातिगत संघर्षों को रोकने के तरीकों का अध्ययन करने के लिए सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति के. चंद्रू की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया था और इस आयोग ने स्कूलों के नामों में जाति उपसर्गों और प्रत्ययों को हटाने सहित कई महत्वपूर्ण सिफारिशें की थीं, जिन्हें सरकार ने स्वीकार कर लिया।
राज्यभर में 2,739 सरकारी छात्रावास हैं, जिनमें 1,79,568 छात्र रहते हैं और इनका संचालन पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अलावा आदि द्रविड़ और जनजातीय कल्याण विभाग द्वारा किया जा रहा है।
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