'धर्मोत्सव चातुर्मास' में ज्ञान, वैराग्य, दर्शन, चरित्र का उत्सव मनाया जाएगा: मुनिश्री पुलकित कुमार

संतश्री विभिन्न मार्गों से होते हुए तेरापंथ भवन पहुंचे

'धर्मोत्सव चातुर्मास' में ज्ञान, वैराग्य, दर्शन, चरित्र का उत्सव मनाया जाएगा: मुनिश्री पुलकित कुमार

दिनेश छाजेड़ एवं टीम ने अनुशासन रैली की व्यवस्था संभाली

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। स्थानीय तेरापंथ सभा गांधीनगर के तत्वावधान में रविवार को मुनि डॉ. पुलकित कुमारजी व आदित्य कुमारजी का चातुर्मास प्रवेश धूमधाम से सम्पन्न हुआ। रविवार को कुमारापार्क स्थित पन्नालाल कन्हैयालाल गिरिया के निवास स्थान से अनुशासन रैली के साथ संतश्री विभिन्न मार्गों से होते हुए तेरापंथ भवन पहुंचे।

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दिनेश छाजेड़ एवं टीम ने अनुशासन रैली की व्यवस्था संभाली। भवन पहुंचकर मुनिद्वय ने भिक्षु मंत्र का जाप कर मंगल वेला में विशाल जनमेदनी के साथ तेरापंथ भवन में प्रवेश किया। इस मौके पर पुलकित कुमारजी के साथ वरुणमुनिजी, ध्यान योगीजी व साध्वीश्री पावनरत्नाजी भी उपस्थित थे। 

प्रवेश के बाद सभा भवन में चातुर्मास प्रवेश कार्यक्रम का आयोजन किया जिसमें तेरापंथ सभा के अध्यक्ष पारसमल भंसाली ने उपस्थित जनों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की संक्षिप्त रूपरेखा प्रस्तुत की। तेरापंथ महिला मंडल ने स्वागत गीत गाया। तेरापंथ ट्रस्ट के

अध्यक्ष सुशील चोरड़िया ने भी संतों के चातुर्मास प्रवेश के लिए मंगलकामनाएं दी। अणुव्रत समिति के अध्यक्ष ललित बाबेल, तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम के अध्यक्ष पुष्पराज चौपड़ा ने अपने विचार व्यक्त किए। ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं व बच्चों ने अपनी संगीतमय प्रस्तुति दी।

इस अवसर पर मुनिश्री आदित्यकुमारजी ने गीत के माध्यम से अपने बेंगलूरु विहार व परिचय की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि चातुर्मास का समय सुनने, सोचने व करने का समय है। चातुर्मास परिवर्तन का काल है। मुनिश्री ने चातुर्मास काल में ज्यादा से ज्यादा धर्म आराधना करने की प्रेरणा दी। साध्वी श्री पावनरत्नाजी ने गीत के माध्यम से जैन धर्म के सिद्धातों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हम सभी जैन संत एक हैं, सभी प्रभु महावीर के शिष्य हैं। 

पूर्व अध्यक्ष बहादुर सेठिया ने गीत का संगान किया। मंदिरमार्गी मुनिश्री ध्यानयोगीजी म.सा. ने कहा कि आराधना साधना करने का समय है वर्षावास। चातुर्मास में चेंज अर्थात बदलाव लाना होगा, च्वाइस मतलब हमें ज्ञान, त्याग, तप को चुनना होगा, चांस अर्थात् मुनिश्री पुलकितकुमारजी का चातुर्मास मिला है, उसका लाभ उठाना चाहिए। भौतिक जीवन में गुरु का होना सौभाग्य की
बात है। 

अभातेयुप के उपाध्यक्ष पवन मांडोत ने युवा शक्ति का प्रतिनिधित्व करते हुए संतों का स्वागत किया। स्थानकवासी वरुणमुनिजी ने आचार्यश्री भिक्षु का दृष्टांत सुनाते हुए कहा कि संत किसी भी देश व वेश का हो उनका सम्मान होना चाहिए। जीवन को आनंद के साथ जीने वाले सच्चा
साधक है और आनंद प्राप्ति का एक मात्र मार्ग है धर्म।

अपने चातुर्मास प्रवेश कार्यक्रम में उपस्थित श्रावक श्राविकाओं को संबोधित करते हुए मुनि डॉ. पुलकित कुमारजी ने कहा कि संतों के प्रवेश से श्रावक श्राविकाओं के जीवन की दिनचर्या में परिवर्तन होता है। मुनिश्री ने कहा कि हमारे इस धर्मोत्सव चातुर्मास’ में ज्ञान, संयम, तप, जप,
वैराग्य, दर्शन, चरित्र का उत्सव मनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि चातुर्मास प्रवेश पर श्रद्धालुओं ने सांकेतिक रूप से धर्म का तिलक लगाया है और हम सब को एकजुट होकर धर्म आराधना करते हुए इसे सिरमोर बनाना है। 

मुनिश्री ने चातुर्मास में होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों व ज्ञान सत्रों की जानकारी दी। मुनिश्री विशेष रूप से युवाओं का आह्वान किया कि इस चातुर्मास में अधिक से अधिक युवाओं को जुड़ना है। मुनिश्री पुलकित कुमारजी ने आचार्यश्री भिक्षु के त्रिशताब्दी वर्ष कार्यक्रम की जानकारी देते हुए कहा कि पूरे बेंगलूरु में नवकार मंत्र का जाप व आचार्यश्री भिक्षु मंत्र की आराधना की जाएगी। 

मुनिश्री ने तेरापंथ धर्मसंघ द्वारा दी गई विहार सेवा की सराहना की। संतश्री ने कहा कि उपस्थित विभिन्न सम्प्रदाय के साधु साध्वियों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की। मुनिश्री ने उपस्थित जनों से तपस्या का रिटर्न गिफ्ट देने का आह्वान किया। मुनिश्री ने बेंगलूरु में आयोजित अन्य चातुर्मास के लिए मंगलकामनाएं दी। 

इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडूराव उपस्थित थे। गुंडूराव ने संतों से आशीर्वाद प्राप्त किया और तेरापंथ सभा के पदाधिकारियों ने गुंडूराव का सम्मान किया। इस मौके पर तेरापंथ सभा, तेयुप के अध्यक्ष विमल धारीवाल, नए अध्यक्ष प्रसन्न धोका, महिला मंडल की अध्यक्ष रिजु डूंगरवाल व नई अध्यक्ष लक्ष्मी बोहरा सहित अन्य संबंधित संस्थाओं के पदाधिकारी व सदस्य उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन तेरापंथ सभा के मंत्री विनोद छाजेड़ ने किया।

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