उन्माद हिंसा को जन्म देता है: राष्ट्रसंत कमल मुनि
'उन्माद और धार्मिकता एक जीवन में एक साथ नहीं रह सकते'

राष्ट्र संत ने कहा कि उन्माद अपने आप में हिंसा की जननी है
चेन्नई/दक्षिण भारत। चेन्नई के केएलपी जैन स्थानक में राष्ट्रसंत कमल मुनिजी ‘कमलेश’ ने सभा संबोधित करते कहा कि उन्माद में व्यक्ति विवेक शून्य होकर बड़े से बड़ा अनर्थ करने में गर्व महसूस करता है, यह सबसे बड़ा पाप है।
उन्होंने कहा कि धर्मात्मा में जब उन्माद का भूत सवार होता है, वह शैतान और राक्षस के बराबर हो जाता है। उन्होंने कहा कि धार्मिक उन्माद अत्यंत खतरनाक है। आतंकवाद का निर्माता है। उस मद में अंधा बना हुआ अपने और पराए का उसको किसी प्रकार का ध्यान नहीं रहता है।अंधेरा और प्रकाश एक साथ नहीं रह सकते हैं, वैसे उन्माद और धार्मिकता एक जीवन में एक साथ नहीं रह सकते।
मुनि कमलेश ने बताया कि शराब आदि नशे का उन्माद तो थोड़े समय बाद उतर जाता है, लेकिन धर्म, जाति, भाषा, धन, पद और प्रतिष्ठा के उन्माद का नशा खतरनाक है, शत्रु जो जन्म जन्मांतर को बर्बाद कर देता है।
राष्ट्र संत ने कहा कि उन्माद अपने आप में हिंसा की जननी है। आत्मा के साथ कर्मों का बंधन विचारों को शातिर और शरीर को असाध्याय रोगों का शिकार बनाता है। जैन संत ने कहा कि वर्षों के प्यार और प्रेम के संबंध को उन्माद एक पल में नष्ट करके नफरत बदल देता है।
घनश्याम मुनिजी, कौशल मुनिजी ने मंगलाचरण किया। अक्षत मुनिजी और सक्षम मुनिजी ने विचार व्यक्त किए। पार्षद राजेश जैन ‘रंगीला’ के नेतृत्व में मुख्यमंत्री स्टालिन की ओर से राष्ट्र संत कमल मुनिजी कमलेश का अभिनंदन किया।
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