धार्मिक-सामाजिक क्रांति का शंखनाद है वर्षावास: आचार्यश्री विमलसागरसूरीश्वर
वर्षावास की निमंत्रण पत्रिका का लेखन किया गया

विशाल स्वागत यात्रा का आयोजन किया गया है
गदग/दक्षिण भारत। चातुर्मास करने गदग पहुंचे आचार्य विमलसागरसूरीश्वरजी और गणि पद्मविमलसागरजी आदि सात श्रमणों के सान्निध्य में वर्षावास की निमंत्रण पत्रिका का शुक्रवार को शुभ मुहूर्त में लेखन किया गया।
मंगल मंत्रों और गीतों की मधुर स्वरलहरियों के साथ अलग-अलग संघों, संगठनों और मंदिरों को निमंत्रण पत्रिकाएं लिखी गईं। शुक्रवार को कच्छी महाजन वाड़ी में आयोजित इस कार्यक्रम में वर्षावास के सभी लाभार्थी एवं राजस्थान जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघ के पदाधिकारियों के साथ स्थानकवासी, तेरापंथी, कच्छी और दिगंबर समाज के पदाधिकारी भी उपस्थित रहे।संघ के अध्यक्ष एवं वर्षावास प्रवेश-समारोह के लाभार्थी पंकज बाफना ने सबका स्वागत कर वर्षावास के समग्र कार्यक्रमों की जानकारी दी। शहर में आचार्य विमलसागरसूरीश्वरजी के इस सर्वप्रथम वर्षावास को लेकर सभी समाजों में गजब का उत्साह देखा जा रहा है।
यहां का किशोर व युवा वर्ग सांस्कृतिक व धार्मिक कार्यक्रमों की जोरदार तैयारियों में लगा है। प्रवचनों और कार्यक्रमों के आयोजनों के लिए स्टेशन रोड स्थित पार्श्वनाथ जैन मंदिर के पास एक विशाल पंडाल बनाया गया है।
सोमवार को केशवनगर से वर्षावास प्रवेश की विशाल स्वागत यात्रा का आयोजन किया गया है। जैनाचार्य के प्रवेश समारोह में भाग लेने में देश भर के अनेक शहरों से गुरु भक्त शामिल होंगे।
पत्रिका लेखन के मुहूर्त समारोह में आचार्यश्री विमलसागरसूरीश्वरजी ने कहा कि हम धार्मिक सामाजिक क्रांति का शंखनाद करने आए हैं। हमारा वर्षावास हर वर्ग की भलाई, धार्मिक-आध्यात्मिक विकास, अहिंसा और शाकाहार का प्रचारप्रसार, बालकों के संस्कार-निर्माण तथा आपसी सद्भावना, व्यसन मुक्ति और मानवीय गुणों के जतन के लिए समर्पित है।
संतों का आगमन वसंत जैसा होता है। साधु-संत बिना मौसम के भी अपने परिचय में आने वाले हर व्यक्ति के जीवन में वसंत की बहार ले आते हैं।