निष्ठावान कार्यकर्ताओं के अभाव में समाज व संगठन बन जाते हैं कमजोर: विमलसागरसूरीश्वर

'हम सभी को सबसे पहले कर्मयोगी बनना चाहिए'

निष्ठावान कार्यकर्ताओं के अभाव में समाज व संगठन बन जाते हैं कमजोर: विमलसागरसूरीश्वर

'लंबे समय तक योग्यता अथवा अयोग्यता को छिपाया नहीं जा सकता'

गदग/दक्षिण भारत। शनिवार को शहर के कच्छी महाजन वाड़ी में विविध मंडलों, संगठनों के युवा कार्यकर्ताओं, महिला व कन्यावर्गों की विशेष बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में  जैनाचार्य विमलसागरसूरीश्वरजी ने कहा कि हम सभी को सबसे पहले कर्मयोगी बनना चाहिए। 

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काम करना सीखना चाहिए, लेकिन फल की इच्छा नहीं करनी चाहिए। लंबे समय तक आपकी योग्यता अथवा अयोग्यता को छिपाया नहीं जा सकता। योग्यता उभर कर बाहर आएगी और अयोग्यता कभी न कभी आपकी पोल खोल देगी। सबकी आंखों में सदैव धूल नहीं डाली जा सकती।

आचार्यश्री ने कहा कि पदाधिकारी बनने की योग्यता प्राप्त करने के लिए व्यक्ति का सबसे पहले निष्ठावान कार्यकर्ता बनना आवश्यक है। अच्छा बीज ही उपजाऊ भूमि और पानी पाकर, अच्छा वृक्ष बनकर हजारों फल और नए बीज पैदा करता है। 

कार्यकर्ता की समर्पित भावना और कुशलता ही उसे ऊंचे पदों पर पहुंचाती है। इसके लिए संगठन व समाज में सबसे पहले कार्यकर्ताओं को साहस, शक्ति और मार्गदर्शन देने वाले योग्य नायक चाहिएं।

जब कार्यकर्ता के काम और समर्पण की कद्र नहीं होती तो वह हताश हो जाता है। इस प्रकार कार्यकर्ताओं की कमी होने लगती है और धीरे-धीरे वह समाज या संगठन कमजोर बन जाता है। हर एक को पहले अधिकारी नहीं, सेवाभावी कार्यकर्ता बनने की इच्छाशक्ति जगानी चाहिए बिना सेवासमर्पण के अधिकारी बनने की चेष्टाएं ही असंतोष और विवाद पैदा करती हैं। यह प्रक्रिया मनुष्य की अयोग्यता भी सिद्ध करती है। 

गणि पद्मविमलसागरजी ने भी कार्यकर्ताओं को अनेक सलाह देते हुए कहा कि जन्म से कोई सब कुछ सीखकर नहीं आता, पल-पल के प्रयत्न और समर्पण भावों से बहुत कुछ सीखा जा सकता है। जैन संघ के अध्यक्ष पंकज बाफना ने वर्षावास की तैयारियों की जानकारी दी।

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