मंडी सांसद कंगना रनौत अपने काम को गंभीरता से नहीं ले रही हैं: हिप्र कांग्रेस अध्यक्ष

बादल फटने और अचानक आई बाढ़ से मंडी संसदीय क्षेत्र में नुकसान हुआ है

मंडी सांसद कंगना रनौत अपने काम को गंभीरता से नहीं ले रही हैं: हिप्र कांग्रेस अध्यक्ष

Photo: IndianNationalCongress FB Page

शिमला/दक्षिण भारत। हिमाचल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने मंगलवार को कहा कि कंगना रनौत मंडी की सांसद के रूप में अपने काम को गंभीरता से नहीं ले रही हैं। इससे पहले कंगना ने टिप्पणी की थी कि उन्हें राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी से व्याख्यान की जरूरत नहीं है, जिसने 'सभी मोर्चों पर लोगों को विफल' किया है।

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बादल फटने और अचानक आई बाढ़ से मंडी संसदीय क्षेत्र में नुकसान होने के कुछ दिनों बाद भाजपा सांसद ने रविवार को क्षेत्र का दौरा किया और राहत कार्य में लापरवाही बरतने के लिए कांग्रेस सरकार पर हमला बोला।

उन्होंने कहा था कि राहत और पुनर्बहाली कार्य राज्य सरकार की जिम्मेदारी है और एक सांसद केवल प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को स्थिति से अवगत करा सकता है तथा केंद्रीय सहायता का अनुरोध कर सकता है।

पलटवार करते हुए प्रतिभा सिंह ने कहा, 'मंडी हिप्र का सबसे बड़ा संसदीय क्षेत्र है और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य के दो-तिहाई क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाली एक सांसद कह रही हैं कि उसके पास कोई फंड, एजेंसियां ​​या कैबिनेट नहीं है।'

उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘ऐसे बयानों से पता चलता है कि कंगना अपने काम को गंभीरता से नहीं ले रही हैं।’ उन्होंने कहा कि भाजपा सांसद अपनी जिम्मेदारी नहीं समझती हैं।

हिमाचल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने रनौत के इस तर्क को नकार दिया कि किसी सांसद को आपदा की स्थिति में सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास निधि से धन आवंटित करने की अनुमति नहीं होती है तथा सड़कों और अन्य बुनियादी ढांचे की बहाली राज्य सरकार का काम है।

मंडी लोकसभा सीट का तीन बार प्रतिनिधित्व कर चुकी प्रतिभा सिंह ने कहा, 'सांसदों को अपने निर्वाचन क्षेत्रों के लिए सालाना 5 करोड़ रुपए मिलते हैं और वे आपदा के समय एमपी-एलएडी फंड से धन खर्च कर सकते हैं और राहत प्रदान करने, क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत और राशन वितरण में योगदान दे सकते हैं।'

कांग्रेस नेता ने कहा, 'भाजपा सांसद को तुरंत प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करना चाहिए था और लोगों की शिकायतें सुननी चाहिए थीं, राहत कार्यों में मदद करनी चाहिए थी और फिर केंद्र के समक्ष उनकी चिंता उठानी चाहिए थी। लेकिन उनके शब्द आहत करने वाले थे और लोग उन्हें चुनने के लिए पछता रहे हैं।'

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