प्रवचन के सार को अपने अंदर उतारें: राष्ट्रसंत कमल मुनि
महापुरुषों का आचरण हमारे लिए उपदेश बन गया

बाहरी चमक-दमक इंद्रधनुष की भांति उड़ जाएगी
चेन्नई/दक्षिण भारत। यहां के केएलपी जैन स्थानक में शुक्रवार को राष्ट्रसंत कमल मुनिजी कमलेश ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि प्रवचन के साथ साथ प्रैक्टिकल करना प्रारंभ कर दे तो, उन प्रवचनों की गहरी अमिट छाप मन मस्तिष्क पर हमेशा के लिए अंकित हो जाएगी। राम ने शबरी के जूठे बेर न लेते, महावीर चंदन बाला के बाकुले नहीं लेते, कृष्ण विदुर से छिलके न लेते, तो आज इतिहास नहीं बनता।
उन्होंने कहा कि आदर्शवाद की बातें उपहास का पात्र बनती हैं। जंगलों में रहकर प्रैक्टिकल किया, हजारों वर्षों बाद भी जनता के लिए श्रद्धा और आस्था के केंद्र बने हुए हैं।मुनि कमलेश ने बताया कि महापुरुषों का आचरण ही हमारे लिए उपदेश बन गया। आज भी उसको सुनकर जनता भाव विभोर हो जाती है। उन्होंने कहा कि हमारे अचार्य विचार व्यवहार में समानता, सादगी और सद्भाव होने पर इंसान तो क्या पशु भी प्रभावित हुए बिना नहीं रहेगा।
जैन संत ने कहा कि फूल में खुशबू होगी, भंवरे बिना निमंत्रण के वहां मंडराने लगेंगे। नकली फूल पर कितना ही इत्र लगा लो तो भी वह भंवरों को आकर्षित नहीं कर पाते हैं। बाहरी चमक दमक इंद्रधनुष की भांति उड़ जाएगी।
इस मौके पर वरिष्ठ सेवक डॉक्टर सोहन राज जैन, सुरेश चंद छल्लनी बेंगलूरु, स्वरूपचंद झामड़, राजू बोहरा, सलोनी खिंवेसरा, सिद्धेचंद लोढ़ा आदि उपस्थित थे।
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