माल्या की फिजूल दलीलें
माल्या की फिजूल दलीलें
मनी लांड्रिंग और धाोखाध़डी के आरोपों को लेकर विवादों में फंसे शराब कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण मामले की सुनवाई के दौरान उसके वकीलों ने भारत की न्याय व्यवस्था की निष्पक्षता पर सवाल ख़डे किए। माल्या की मौजूदगी में वकील क्लेयर मोंटगोमरी ने सीबीआई और उच्चतम न्यायालय के फैसलों पर अपनी राय देने के लिए डॉ. मार्टिन लू को पेश किया। लू दक्षिण एशियाई मामलों के विशेषज्ञ माने जाते हैं। उन्होंने सिंगापुर और हांग कांग के तीन अकादमिकों द्वारा किए गए एक अनाम अध्ययन का हवाला देते हुए सेवानिवृत्ति के करीब पहुंचे उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की निष्पक्षता पर सवाल ख़डे किए। माल्या के वकीलों का तर्क सिर्फ इस लिहाज से सही नहीं ठहराया जा सकता है कि भारत में माल्या को न्याय नहीं मिल सकेगा। भारत की न्याय व्यवस्था को लेकर लंदन की कोर्ट में जो सवाल उठे हैं, वे न सिर्फ गैर वाजिब हैं, बल्कि खारिज करने के योग्य हैं। भारत की न्याय प्रणाली विश्व की सबसे पुरानी प्रणालियों में से एक कही जाती है। देश के संविधान की प्रस्तावना भारत को संप्रभुता संपन्न गणराज्य के रूप में परिभाषित करती है। भारत में कानून का स्रोत यही संविधान है, जो इसके बदले में राज्यों को विधिक मान्यता देता है। विवाद संबंधी कानून और पारंपरिक कानून इसके विधानों के अनुकूल हैं। संविधान की एक विशेषता यह रही है कि संघीय प्रणाली को अपनाने, केंद्रीय अधिनियमों एवं राज्य अधिनियमों के उनके संबंधित क्षेत्र में मौजूद होते हुए भी इसने सामान्यतः संघीय व राज्य दोनों के कानूनों को प्रवर्तित करने के लिए एकीकृत एकल न्यायालयों की व्यवस्था कर रखी है। मान लिया कि भारत की न्याय व्यवस्था दशकों से अपनी सुस्त रफ्तार, पेंडिंग केसों की लंबी कतारों से लगातार जूझ रही है लेकिन वह ऐसा मानना कतई सही नहीं होगा कि वह निष्पक्ष व्यवस्था नहीं है। भारत की न्याय व्यवस्था में ऐसे कई केस हैं, जब कोर्ट ने न व्यक्ति देखा और न उसका रुतबा। समाज और देश की भलाई में उसे जो सही लगा, फैसला सुनाया। अंतिम पल तक किसी के भी साथ अन्याय नहीं करने की मंशा भारतीय न्याय व्यवस्था में पहले से निहित है। एक कोर्ट से सुनाई गई सजा या निर्णय को चुनौती देने का अधिकार दोषी के पास हमेशा रहा है। हमारी न्याय प्रणाली बेगुनाहों को बचाने के लिए किसी भी हद तक आलोचना सह सकती है तो आतंकवादियों को सख्त से सख्त सजा देने में भी यह सक्षम है। इस बात के लिए हम सभी को अपने देश की न्याय प्रणाली पर गर्व होना चाहिए।