पाक के बेबुनियाद आरोप
आतंकवाद की यह आग लगाई किसने थी?

आतंकवाद ने पाकिस्तान को निगलना शुरू कर दिया है
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा (केपीके) प्रांत में वजीरिस्तान के खड्डी गांव में हुए आत्मघाती हमले के बाद इस पड़ोसी देश द्वारा भारत पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं। उक्त धमाके से रावलपिंडी को बहुत पीड़ा हुई है, क्योंकि उसके एक दर्जन से ज्यादा फौजी मारे गए हैं। अब जीएचक्यू में बैठे जनरलों को एक बार विचार करना चाहिए कि आतंकवाद की यह आग लगाई किसने थी? उसकी लपटों से खुद के फौजी झुलसने लगे तो बहुत तकलीफ हो रही है! पाकिस्तान ने आतंकवाद को लेकर जो खतरनाक प्रयोग शुरू किया था, अब वह खुद उसका खामियाजा भुगत रहा है। ऐसे में भारत पर आरोप लगाना बिल्कुल गलत है। याद करें, भारतीय संसद पर हमला, 26/11 हमला, पठानकोट हमला, उरी हमला, पुलवामा हमला और पहलगाम हमला - इन सबमें पाकिस्तान का हाथ था। भारत बार-बार कह चुका है कि एक दिन आतंकवाद पाकिस्तान की ओर पलटकर आएगा। हाल के वर्षों में केपीके में हुए धमाकों पर ही नजर डालें तो इस निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं कि आतंकवाद ने पाकिस्तान को निगलना शुरू कर दिया है। आतंकवादियों ने वजीरिस्तान के गांव में हमला करने के लिए जो तरीका अपनाया, वह 14 फरवरी, 2019 को किए गए पुलवामा हमले से काफी मिलता-जुलता है। उस घटना के बाद पाकिस्तानी मीडिया ने हमलावर की शान में कसीदे पढ़े थे, आतंकवादियों का गुणगान किया था। क्या वह खड्डी धमाके में शामिल रहे आतंकवादियों की तारीफ करने का हौसला दिखाएगा? 'जो भारत को नुकसान पहुंचाए, वह अच्छा आतंकवादी है; जो पाकिस्तान को नुकसान पहुंचाए, वह बुरा आतंकवादी है!' पाक को इसी सोच ने यहां तक पहुंचाया है।
इस घटना के बाद रावलपिंडी को यह समझ लेना चाहिए कि आतंकवादी किसी के सगे नहीं होते। हिलेरी क्लिंटन ने एक बार पाकिस्तान को यह कहते हुए चेतावनी दी थी कि 'आप अपने घर के पिछवाड़े में सांप पाल कर ऐसी उम्मीद नहीं कर सकते कि वे सिर्फ आपके पड़ोसी को डसेंगे।' जब अगस्त 2021 में तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा किया था, तब सबसे ज्यादा खुशियां पाकिस्तान में मनाई जा रही थीं। उसके तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा था कि 'अफगानिस्तान ने गुलामी की जंजीरें तोड़ दीं।' पाकिस्तान को भ्रम था कि तालिबान अफगानिस्तान में उसके प्रभाव को बढ़ाएगा और भारत के खिलाफ उसका साथ देगा, क्योंकि उसके लड़ाकों को पनाह, प्रशिक्षण, हथियार आदि इस्लामाबाद ने दिए थे। हालांकि हुआ उसका ठीक उल्टा! आज टीटीपी जैसे संगठन पाकिस्तान के लिए सिरदर्द बन गए हैं। इन्होंने पिछले चार वर्षों में केपीके और बलोचिस्तान में बड़े हमले किए हैं। ये मुख्यत: सुरक्षा बलों को निशाना बना रहे हैं। पाकिस्तान खड्डी धमाके के लिए भारत पर आरोप लगा रहा है, लेकिन उसके हुक्मरान यह क्यों भूल रहे हैं कि हमले की जिम्मेदारी हाफिज गुल बहादुर समूह से जुड़े आतंकी संगठन उसुद अल-हरब ने ली है, जो टीटीपी का हिस्सा है? जब पाकिस्तानी फौज पूर्व में इन संगठनों को प्रशिक्षण दे रही थी, तब यह ख़याल क्यों नहीं आया कि एक दिन ये लोग हम पर भी धावा बोल सकते हैं? अब तो इन संगठनों की कई शाखाएं खुल चुकी हैं। वे अफगानिस्तान की तर्ज पर पाकिस्तान में तालिबानी शासन लाना चाहती हैं। इसकी राह में सबसे बड़ी रुकावट पाकिस्तानी फौज है, इसलिए उसके जवानों और अधिकारियों पर हमले जारी हैं। खड्डी हमले के जरिए इसी सिलसिले को आगे बढ़ाया गया है। अब पाकिस्तान को उन 'गतिविधियों' का आनंद लेने के लिए तैयार रहना चाहिए, जिनकी शुरुआत उसने दूसरों को परेशान करने के लिए की थी।