संकल्पों में समाधान
देश की कई समस्याओं का समाधान इन संकल्पों में निहित है, बशर्ते सब इन पर अमल करें
प्राकृतिक खेती, श्री अन्न का उपयोग और योग का अभ्यास ... यह 'त्रिशक्ति' तन, मन और जीवन के लिए कवच का काम करेगी
किसी भी कार्य में सफलता का प्रारंभिक बिंदु 'संकल्प' होता है। अगर दृढ़-प्रतिज्ञ होकर संकल्प लिया जाए और ईमानदारी से परिश्रम किया जाए तो सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से जिन नौ संकल्पों को लेने का आग्रह किया है, उनकी आज बहुत जरूरत है। देश की कई समस्याओं का समाधान इन संकल्पों में निहित है, बशर्ते सब इन पर अमल करें।
प्रधानमंत्री ने 'पानी की बूंद-बूंद बचाने और जल संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक करने की अपील' से एक अहम मुद्दे की ओर सबका ध्यान खींचा है। हमें जल संरक्षण के परंपरागत और आधुनिक तौर-तरीकों पर गंभीरता से विचार करना होगा। अगर पानी को व्यर्थ न बहाएं और वर्षाजल का संग्रह कर भूजल स्तर बढ़ाने के लिए काम करें तो इससे भविष्य में बहुत मदद मिलेगी। मानसून आने से पहले घरों और बड़ी इमारतों की छतों की सफाई कर जल संरक्षण को राष्ट्रीय अभियान बनाना चाहिए।डिजिटल पेमेंट के क्षेत्र में भारतीय तकनीक का लोहा दुनिया मानती है। वहीं, आज भी देश में बहुत लोग इसके तरीकों से अनजान हैं। अगर उन्हें डिजिटल पेमेंट करना सिखाया जाए तो यह अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ीकरण में बड़ा योगदान होगा। उन लोगों को डिजिटल पेमेंट के दौरान सावधानियों के बारे में बताना भी जरूरी है। जब ज्यादातर लोग डिजिटल पेमेंट करने लगेंगे तो अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता आएगी, बैंकिंग प्रणाली मजबूत होगी, नकली नोटों की समस्या का प्रभावी समाधान होगा।
लोग अपने घरों, दुकानों, कार्य-स्थलों आदि को साफ रखने पर तो बहुत जोर देते हैं, लेकिन सार्वजनिक स्वच्छता का लक्ष्य अभी बहुत दूर है। हालांकि स्वच्छ भारत अभियान के तहत स्वच्छता पर काफी ध्यान दिया जा रहा है। हमें अपने घरों के साथ ही मोहल्ले, गांव, शहर को स्वच्छ रखने का संकल्प लेना होगा। अगर घर स्वच्छ हो और मोहल्ले में कूड़े के ढेर लगे हों, तो स्वच्छता का लक्ष्य अधूरा रहेगा।
प्रधानमंत्री ने देशवासियों से विभिन्न अवसरों पर 'वोकल फॉर लोकल' का आह्वान किया है। उन्होंने इसे नौ संकल्पों में भी शामिल किया है। देश में रोजगार के अवसरों के सृजन और निर्धनता निवारण के लिए स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देना जरूरी है। देश के उत्पाद, देश में बने उत्पाद बाजारों में बिकेंगे तो देश का धन देश में रहेगा। इस बात का खास ध्यान रखना होगा कि चीनी उत्पादों का स्थान भारतीय उत्पाद लें। इस पड़ोसी देश का जैसा रवैया है, उसके मद्देनजर यह कोशिश होनी चाहिए कि इसके खजाने में हमारा धन न जाए। चीन एक ओर तो हमसे कमाई करता है, दूसरी ओर हमारी जमीन हड़पने का दुष्टतापूर्ण इरादा रखता है। जब ड्रैगन की कमाई घट जाएगी तो उसके तेवर ढीले पड़ जाएंगे।
'अपने देश को देखने, अपने देश में घूमने' का आह्वान न केवल सांस्कृतिक एकता के सूत्र को मजबूत करेगा, बल्कि यह रोजगार के कई अवसर भी पैदा करेगा। प्रधानमंत्री मोदी जब किसी राज्य, केंद्र शासित प्रदेश के दौरे पर जाते हैं तो उसके खानपान, पहनावे, इतिहास, प्रमुख स्थलों आदि से संबंधित तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हैं। कई लोग हैं, जिन्होंने ऐसी तस्वीरें देखकर ही वहां जाने की योजना बना ली थी। मोदी ने साल 2019 में उत्तराखंड की एक गुफा में ध्यान लगाया था। उसका असर यह हुआ कि कई महीनों तक उसकी बुकिंग फुल रहती है। हमारे देश में पर्यटन से जुड़ीं अपार संभावनाएं हैं। बस, उससे संबंधित स्थानों का ठीक तरह से प्रचार करने की जरूरत है। इसमें देशवासी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। जब वे खुद अपने देश को देखेंगे, घूमेंगे और अपने अनुभवों को लिखेंगे तो उससे भविष्य में नए पर्यटक तैयार होंगे।
प्राकृतिक खेती, श्री अन्न का उपयोग और योग का अभ्यास ... यह 'त्रिशक्ति' तन, मन और जीवन के लिए कवच का काम करेगी। वहीं, अपने संसाधनों से जरूरतमंद परिवारों की मदद हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों के सामाजिक समानता के स्वप्न को साकार करेगी।