नापाक जाल तार-तार
कई लोग आईएसआई के जाल में फंसकर राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ीं अहम जानकारियों का सौदा करते पाए गए हैं
लालची प्रवृत्ति के लोग किसी भी क्षेत्र में हो सकते हैं
पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के नापाक जाल को उत्तर प्रदेश पुलिस का आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) तार-तार कर रहा है। इसने जिस तरह पड़ोसी देश के खुफिया नेटवर्क का पर्दाफाश करते हुए कार्रवाई की है, वह सराहनीय है। वहीं, चिंता की बात यह है कि हमारे देश के कई लोग आईएसआई के जाल में फंसकर राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ीं अहम जानकारियों का सौदा करते पाए गए हैं। उन पर एटीएस ने शिकंजा जरूर कसा है, लेकिन बड़ा सवाल है- ये लोग इतनी आसानी से शत्रु देश के पाले में क्यों खड़े हो गए?
उप्र एटीएस ने हाल में आईएसआई के लिए भारतीय सेना की जासूसी करने के आरोप में कासगंज जिले के पटियाली थाना क्षेत्र के जिस व्यक्ति को गिरफ्तार किया, वह पूर्व में सेना में काम कर चुका है। हालांकि वह सिर्फ नौ महीने तक अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सेना में अस्थायी कर्मचारी के रूप में कार्यरत रहा, लेकिन इतनी कम अवधि में भी किसी व्यक्ति के पास ऐसी जानकारी हो सकती है, जो अगर शत्रु देश के हाथ लग जाए, तो बड़ा नुकसान हो सकता है। इन दिनों आईएसआई अपने 'शिकार' को फंसाने के लिए सोशल मीडिया का बड़ा ही शातिराना इस्तेमाल कर रही है। इसके लिए फेसबुक या वॉट्सऐप पर ऐसी प्रोफाइल ढूंढ़ी जाती हैं, जो किसी न किसी तरह से जाल में फंस सकती हैं।
फिर 'रूपजाल' का दांव खेला जाता है। धन का भी प्रलोभन दिया जाता है। जो व्यक्ति इनमें से किसी एक चीज में दिलचस्पी दिखाकर एक बार भी 'झुक' जाता है, फिर उसका बार-बार इस्तेमाल होता है। अगर वह जानकारी देने से इन्कार करता है, तो उसे ब्लैकमेल किया जाता है। आईएसआई के लिए यह काम तुलनात्मक रूप से बहुत सस्ता पड़ता है, क्योंकि इसके लिए उसे किसी पाकिस्तानी नागरिक को कहीं भेजने की जरूरत नहीं होती। खास जोखिम नहीं होता। बस, मोबाइल फोन पर ही संवेदनशील जानकारी मिल जाती है। अगर उसका शिकार स्थानीय पुलिस या अन्य जांच एजेंसियों द्वारा पकड़ा जाता है, तो उसे 'मृत' मानकर कोई दूसरा शिकार ढूंढ़ा जाता है।
दु:खद है कि शत्रु के जाल में ऐसे 'शिकार' फंसते जा रहे हैं। न जाने वे अब तक कितनी संवेदनशील जानकारी साझा कर चुके होंगे! अगर ऐसे मामलों का विश्लेषण किया जाए तो इनके मूल में इन्सान का 'लालच' है। लालची प्रवृत्ति के लोग किसी भी क्षेत्र में हो सकते हैं। जब उन्हें शत्रु एजेंसियां थोड़ा-सा प्रलोभन देती हैं तो वे अपनी असलियत दिखा देते हैं। वहीं, सामान्य लोग ब्लैकमेल होने के बाद उनके जाल में फंसते जाते हैं। लिहाजा हर किसी को आईएसआई जैसी एजेंसियों के हथकंडों की जानकारी होनी ही चाहिए। यह ध्यान रखें कि शत्रु एजेंसियां जब किसी व्यक्ति को शिकार बनाने के लिए दांव चलती हैं तो जरूरी नहीं कि वह (व्यक्ति) सैन्य पृष्ठभूमि से ही हो। आम लोगों को भी विभिन्न तरीकों से फंसाया जाता है।
उप्र एटीएस ने जिस व्यक्ति को गिरफ्तार किया, उससे 'हरलीन कौर' नामक महिला ने फेसबुक पर संपर्क किया था। उसके बाद वह 'प्रीति' नामक महिला के संपर्क में आया। उससे वॉट्सऐप पर ऑडियो कॉल करने लगा। फिर वह धन के लालच में आकर सेना से जुड़े महत्त्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की लोकेशन, गाड़ियों की आवाजाही के फोटो भेजने लगा। ये तस्वीरें हरलीन कौर को भी भेजीं। अगर कोई सामान्य व्यक्ति, जिसे आईएसआई के इन हथकंडों की जानकारी नहीं है, तो वह भी महिलाओं के नाम से बनाई गईं इन सोशल मीडिया प्रोफाइल्स के झांसे में आ सकता है।
उप्र और पंजाब पुलिस ने हाल में ऐसी कई सोशल मीडिया प्रोफाइल्स के लिंक सार्वजनिक किए थे, जिनका संचालन पाकिस्तानी एजेंटों द्वारा किया जा रहा था। उन्हें देखकर सामान्य व्यक्ति को जरा भी संदेह नहीं होता कि ये पाकिस्तानी एजेंटों के अकाउंट हैं। वहीं, उन 'महिलाओं' की तस्वीरों को लाइक कर वहां टिप्पणी करने वाले लगभग सभी युवक भारतीय थे।
वे उनकी खूबसूरती की तारीफों के पुल बांध रहे थे। उन्हें अंदाजा नहीं होगा कि वे अनजाने में किस जाल में फंसने जा रहे हैं! देशवासियों को चाहिए कि वे सोशल मीडिया पर किसी भी अनजान व्यक्ति से जुड़ने से बचें। अगर वह व्यक्ति कोई जानकारी मांगे तो सतर्क रहें तथा उसकी सूचना पुलिस को दें। नागरिकों की सतर्कता से ही शत्रु एजेंसियों का यह जाल काटा सकता है।
About The Author
Related Posts
Post Comment
Latest News

Comment List