देशहित सर्वोपरि
अब तक तो सब समझ में आ ही गया होगा कि हमारे हितों का खयाल कौन रख सकता है
.. श्रीकांत पाराशर, बेंगलूरु ..
हम जिस देश के नागरिक हैं उस देश के हितों का ध्यान रखना, उनका संरक्षण करना हमारा पहला कर्तव्य है क्योंकि देशहित से हमारा अपना हित जुड़ा हुआ है। देश कमजोर होगा तो उसका खामियाजा हमें ही भविष्य में भुगतना पड़ेगा। हम हर मामले में अपने विवेक से काम लें, ऐसा समय आ गया है।राजनेता अपने स्वार्थ के लिए, अपनी पार्टी के हितों के लिए हमें संकट में डालने से भी नहीं हिचकिचाते। यह हम पिछले कई दशकों से देखते आ रहे हैं। हमने अपनी अपनी समझ और विचारधारा के अनुरूप सब राजनीतिक दलों को परखा है। अब और परखने के लिए कुछ बचा नहीं है।
अब तक तो सब समझ में आ ही गया होगा कि हमारे हितों का खयाल कौन रख सकता है। कोई राजनेता राष्ट्रवादियों को धमकी देने का काम कर रहा है तो कोई बिजली, पानी मुफ्त देने का लालच दे रहा है।
कोई पार्टी अपनी ढपली अलग ही बजा रही है तो कोई पार्टी जातिवादी तुष्टिकरण का झुनझुना थमा रही है। चुनाव के समय ये गतिविधियां तेज हो जाती हैं क्योंकि जनता को भरमा कर तात्कालिक लाभ उठाकर राजनीतिक दल पांच साल तक हमारी छाती पर मूंग दलने का काम करते हैं। इन सब नाटकबाजों से बचकर रहना है।
हमारी सुरक्षा कौन कर सकता है, हमें गुंडा तत्वों, और भूमाफियाओं से कौन बचा सकता है, हमारी बहन-बेटियों को और हमारी संस्कृति को संरक्षण कौन दे सकता है, विकास के काम कौन कर सकता है, इस पर मन-मंथन करके हमें व्यक्तियों और दलों को चुनावों में चुनना चाहिए।
जहां जहां भी चुनाव हैं वहां के मतदाताओं को जाग्रत करने का दायित्व भी हम सब जागरूक नागरिकों का ही है। हर संभव तरीके से मतदाताओं को जाग्रत करना चाहिए ताकि देशविरोधी ताकतों के हाथों में सत्ता न चली जाए। यह भी बहुत बड़ी देश सेवा है।
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