आयकर की कड़वी चाशनी

आयकर की कड़वी चाशनी

वर्तमान समय में सरकार के राजस्व दबाव में हैं। इस समस्या के निदान के लिए सरकार आयकर का दायरा ब़ढाना चाहती है। जीएसटी को भी सरल बनाने का प्रयास किया जा रहा है। वर्तमान में सरकार के कुल राजस्व में आयकर का हिस्सा मात्र ५ प्रतिशत है। सरकार इसे ब़ढाकर १८ प्रतिशत करना चाहती है। आयकर की वसूली में वृद्धि का ज्यादा प्रभाव अमीरों पर प़डेगा, सो इसे जनहितकारी काम माना जाता है। आयकर का राजस्व में हिस्सा ५ प्रतिशत से १८ प्रतिशत हो जाने से उसी के अनुसार कुल राजस्व में जीएसटी का हिस्सा घटेगा और इसे भी जनहितकारी माना जाता है क्योंकि जीएसटी आम आदमी द्वारा खपत की गई वस्तुओं पर अदा किया जाता है। इस प्रकार आयकर में वृद्धि के दो जनहितैषी प्रभाव दिखते हैं – अमीर अधिक आयकर देंगे और आम आदमी को कम जीएसटी अदा करना होगा। वहीं, गहराई से प़डताल करें तो इस कदम का प्रभाव कुछ और ही दिखता है। वर्तमान में देश के केवल ४ प्रतिशत लोग जो सबसे ज्यादा अमीर हैं, आयकर देते हैं। जिन नए लोगों को आयकर के दायरे में लाया जाएगा, वह मध्य वर्ग के होंगे। सरकार आयकर की अधिकतम दरों में कटौती भी करना चाहती है। इससे अमीरतम लोगों को लाभ होगा। वे आज अपनी आय का ३० प्रतिशत आयकर दे रहे हैं तो कल २५ प्रतिशत देंगे। दूसरी तरफ मध्य वर्ग पर इसका विपरीत प्रभाव प़डेगा। वह आज तक आयकर नहीं देता था। अब उसे कर देना प़डेगा। यानी, जो प्रस्तावित सुधार हैं, वह आम आदमी के लिए हानिप्रद हैं।ऐसे ही, सरकार जीएसटी को सरल बनाकर वसूली ब़ढाना चाहती है। अभी जीएसटी के पांच स्लैब हैं और अधिकतम स्लैब २८ प्रतिशत का है। यह टैक्स लग्जरी कार जैसे मालों पर वसूल किया जाता है जो मूलतः अमीरों के मतलब की चीज है। सरकार का मानना है कि जीएसटी से वसूली ब़ढाने के लिए स्लैबों की संख्या में कटौती होनी चाहिए्। यदि स्लैब ५ से घटाकर ३ या २ कर दिए जाएं तो जीएसटी का कार्यान्वयन सरल हो जाएगा और सरकार को आशा है कि इससे जीएसटी की वसूली ब़ढेगी। जीएसटी की वसूली ब़ढने को आमतौर पर जनहितकारी कहा जा सकता है। जीएसटी का हिस्सा वसूल करने के लिए सरकार को सभी माल यानी लग्जरी कार और हवाई चप्पल जैसी सभी वस्तुओं पर कर की दरें घटा दे तो इसका जनहितकारी प्रभाव होगा क्योंकि सभी को कम जीएसटी अदा करना प़डेगा। लेकिन सरकार का प्रयास है कि जीएसटी का हिस्सा कम करते समय विशेषकर जो ऊंचे स्लैब हैं, उनमें कटौती की जाए्। यानी जीएसटी की वसूली में जो कमी आएगी, उसका लाभ केवल अमीरों को होगा। सो, जरूरी है कि आयकर और जीएसटी की वसूली के सिलसिले में सरकार जो भी निर्णय ले उस पर जनता अपनी प्रतिक्रिया पूरी सतर्कता के साथ व्यक्त करे।

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