लोकतंत्र की रक्षा सबकी जिम्मेदारी

क्या प्रशासन इस कदर लापरवाह है कि कोई भी आकर मतदाता बन जाता है?

लोकतंत्र की रक्षा सबकी जिम्मेदारी

लोकतंत्र के समक्ष गंभीर चुनौतियां भी पैदा हो सकती हैं

बिहार में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण अभियान के दौरान 'विदेशी नागरिकों' की मौजूदगी संबंधी खबरें इस बात का संकेत देती हैं कि अब केंद्र सरकार को लोकतंत्र की रक्षा के लिए कुछ बड़े कदम उठाने होंगे। सबसे अहम सवाल तो यह है कि विदेशी नागरिक, खासकर बांग्लादेशी यहां आकर मतदाता सूची में नाम कैसे जुड़वा लेते हैं? क्या बिहार में स्थानीय प्रशासन इस कदर लापरवाह है कि कोई भी आकर मतदाता बन जाता है? यह सवाल सिर्फ बिहार से जुड़ा हुआ नहीं है। पश्चिम बंगाल, झारखंड, असम, राजस्थान समेत कई राज्यों में लोगों की शिकायतें हैं कि बांग्लादेशी और रोहिंग्या आकर वहां के मतदाता बन गए ... उन्होंने राशन कार्ड, आधार कार्ड समेत सभी जरूरी दस्तावेज बनवा लिए! अवैध प्रवासियों का आना और बसना उस इलाके की कानून व्यवस्था के लिए ही खतरा नहीं होता, इससे लोकतंत्र के समक्ष गंभीर चुनौतियां भी पैदा हो सकती हैं। कुछ राजनीतिक दल अपने फायदे के लिए इन्हें वोटबैंक बना लेते हैं। अगर यह सिलसिला जारी रहा तो भविष्य में वह इलाका ही नहीं, इस देश का लोकतंत्र खतरे में पड़ सकता है। अपने लिए बेहतर जीवन स्तर की कामना करते हुए किसी उम्मीदवार से सवाल पूछना, उसे वोट देना, मतगणना के आंकड़ों का विश्लेषण करना - यही लोकतंत्र नहीं है। लोकतंत्र उस वृक्ष की तरह है, जिसे निरंतर सींचना होगा और उसकी रक्षा भी करनी होगी। अगर कोई विदेशी 'तत्त्व' यहां आकर फर्जी नाम और पहचान के साथ इसकी छाया में बैठे और मौका पाकर जड़ें खोदने लग जाए तो अंजाम क्या होगा?

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अगर हम लोकतंत्र की रक्षा करेंगे तो ही वह हमारी रक्षा कर सकेगा। यह किसी एक व्यक्ति, एक एजेंसी या सरकार की जिम्मेदारी नहीं है। इस मुद्दे पर सबको बात करनी होगी। यह सोचकर खामोश रहने से काम नहीं चलेगा कि 'मुझे कोई मतलब नहीं है'। भारत सरकार को सख्त कानून बनाने होंगे, ताकि अवैध प्रवासी हतोत्साहित हों। जो लोग उनकी घुसपैठ, परिवहन, फर्जी दस्तावेज बनवाने, आश्रय देने में मदद करते हैं, उन्हें भी कठोर दंड मिलना चाहिए। ये लोग चंद रुपयों के लालच में देश की सुरक्षा और अखंडता के साथ बड़ा खिलवाड़ कर रहे हैं। मतदाता सूचियों का गहन पुनरीक्षण हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में होना चाहिए। एक भी अवैध प्रवासी को यहां रहने की अनुमति क्यों हो? वह हमारी चुनाव प्रणाली का हिस्सा क्यों होना चाहिए? जिन बांग्लादेशियों ने अपने मुल्क में लोकतंत्र का सर्वनाश कर दिया, वे हमारे लोकतंत्र के साथ क्या करेंगे? कभी सोचा है? लोकतंत्र एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। इसमें नागरिकों के अधिकार ज्यादा हैं तो कर्तव्य भी ज्यादा हैं। यह सुनिश्चित करना नागरिकों की भी जिम्मेदारी है कि न कोई व्यक्ति गलत तरीके से चुनाव जीत पाए और न ही गलत तरीके से मताधिकार हासिल कर पाए। अगर दोनों में से किसी भी जगह गड़बड़ हुई तो खामियाजा नागरिकों को भुगतना होगा। भारत में आम आदमी को राशन कार्ड, आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज बनवाने तथा बैंक खाता खुलवाने के लिए दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। डिजिटलीकरण की वजह से प्रक्रिया थोड़ी आसान जरूर हुई है, लेकिन इन कार्यों में समय लगता है। वहीं, बांग्लादेशी और रोहिंग्या हमारे देश में घुसपैठ करने के बाद ये सारे दस्तावेज आसानी से हासिल कर लेते हैं! भारत सरकार को प्रशासन में व्याप्त खामियों को दूर करना होगा। अगर अवैध प्रवासियों के मुद्दे की ओर अब गंभीरता से ध्यान नहीं दिया तो बहुत देर हो जाएगी।

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