परमात्मा व प्रकृति से जुड़कर अपनी आंतरिक शक्ति को जगाएं: सुधांशु महाराज
चार दिवसीय अमृत ज्ञान वर्षा महोत्सव का शुभारम्भ हुआ

अध्यात्म के सहारे जीवन की दिशा को परिवर्तित करने का अवसर
बेंगलूरु/दक्षिण भारत। शहर के जयनगर स्थित पूर्णिमा कन्वेंशन सेन्टर में गुरुवार से विश्व जागृति मिशन बेंगलूरु शाखा द्वारा चार दिवसीय अमृत ज्ञान वर्षा महोत्सव का शुभारम्भ सद्गुरुदेव श्री सुधांशु जी महाराज द्वारा किया गया। इस अवसर पर समिति के प्रमुख के. के. टांटिया व अन्य पदाधिकारियों ने सुधांशुजी महाराज का स्वागत व सम्मान किया। व्यास पीठ का पूजन भी टांटिया परिवार द्वारा किया गया।
अमृत ज्ञान वर्षा प्रवचन श्रृंखला के पहले दिन प्रवचनकार सुधांशुजी महाराज ने बड़ी संख्या में विभिन्न अंचलों से आए गुरु भक्तों को सम्बोधित करते हुए कहा कि व्यक्ति के जीवन में शान्ति और प्यार उतरे तो जीवन में साक्षात् प्रभु दिखाई देने लगता है तथा सच्चे आनन्द और खुशी की प्राप्ति होतीहै।उन्होंने कहा कि आज सुख और आराम को ढूंढ़ते हुए व्यक्ति अपने लक्ष्य से भटक रहा है। जितना जीवन में सुख और आराम होगा, उससे अधिक व्यक्ति बेचैन होगा इसलिए परमात्मा व प्रकृति से जोड़कर आंतरिक शान्ति को प्राप्त करें और खुश होकर जीवन जिएं।
उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम अध्यात्म के सहारे जीवन की दिशा को परिवर्तित करने का अवसर है। जीवन की दिशा ठीक हो जाए तो दुर्दशा से बचने का मौका मिलता है, दिशा सही हो तो जीवन में अनेक उपलब्धियां प्राप्त होती है।
सुधांशुजी ने कहा कि जिस तरह सेहत खराब हो जाए तो व्यक्ति डॉक्टर के पास जाता है, उसी तरह आध्यात्मिक प्रगति के लिए अपने गुरु के शरण में जाकर जीवन के दुर्भाग्य को सौभाग्य में परिवर्तन करना चाहिए। व्यक्ति खुद को ज्ञान के माध्यम से ही पवित्र कार्य कर सकता है। इस संसार में जो कुछ प्राप्त है वह यहीं पर उपयोग के लिए मिला है, इसलिए जीवन को आनंदित होकर जिएं। जीवन को क्षण भंगुर कहा गया है।
संतश्री ने कहा कि आज हम नकली जिंदगी जी रहे हैं, नकली मुस्कान के साथ जी रहे। आजकल दुकान पर हमने नकली मुस्कान के साथ लोगों को रख रखा है किसी को इमोशन नहीं है। आजकल नाचने गाने वाले और यहां तक रोने वाले भी किराए पर मिलते हैं। वास्तव में खुशी की तलाश में आज हम खुशी से दूर हो गए, जीना चाहते थे जिंदगी और जिंदगी से दूर हो गए। जीवन जीने के लिए ज्ञानियों का सहारा जरूरी है। व्यक्ति को पवित्र और पाप रहित करने वाला ज्ञानी ही होता है।
सुधांशुजी महाराज ने कहा कि जीभ पर लगा हुआ घाव सबसे जल्दी ठीक होता है लेकिन जीभ द्वारा लगाया गया घाव जिंदगी भर ठीक नहीं होता इसलिए अपने शब्दों का ध्यान रखें, सही शब्दों का चयन करें। उन्होंने कहा कि हमें लेट गो की थ्योरी अपनाना होगा अर्थात् चिपक गईं चीजों से जब तक ऊपर नहीं उठेंगे तब तक अगला जन्म हमें रुलाता रहेगा। चीजों को छोड़कर उठकर आगे की ओर चलने की आदत डालना चाहिए। पुरानी बातों को लेकर न चलें जीवन में आगे बढ़े, सकारात्मक सोच रखें।
संतश्री ने कहा कि ज्ञान को जानने के लिए स्वयं गुरु के पास जाना पड़ता है और गुरु के प्रति निष्ठा श्रद्धा जरूरी है। गुरु के प्रति पूर्ण समर्पण रखें अपने अहंकार को छोड़कर ज्ञान की उपासना के लिए उनके निकट पहुंचें। सबकुछ समर्पित करके कुछ पाने की अभिलाषा के साथ गुरु के पास जाए्। ज्ञान को जानने के लिए स्वयं गुरु के पास जाना पड़ता है और गुरु के प्रति निष्ठा श्रद्धा जरूरी है। गुरु के प्रति पूर्ण समर्पण रखें अपने अहंकार को छोड़कर ज्ञान की उपासना के लिए उनके निकट पहुंचें। सब कुछ समर्पित करके कुछ पाने की अभिलाषा के साथ गुरु के पास जाएं।
समिति के आदित्य टांटिया ने बताया कि गत अनेक वर्षों से हजारों गुरु भक्तों को अपने गुरुदेव का सान्निध्य प्राप्त हो रहा है। उन्होंने कार्यक्रम की जानकारी देते हुए कहा कि 18 व 19 जुलाई को प्रातः कालीन सत्र 10 से एवं सायंकालीन सत्र में 5 से प्रारंभ होगा। वहीं 20 जुलाई को श्रीधाम आश्रम में 11 बजे से गुरुदेव के सान्निध्य में कार्यक्रम होगा।
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