विदेश में नौकरी: सुनहरे सपनों की बड़ी कीमत

निमिषा प्रिया की फांसी की सजा टली

विदेश में नौकरी: सुनहरे सपनों की बड़ी कीमत

वहां ज़िंदगी इतनी आसान नहीं है

यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी की सजा का स्थगित होना उनके लिए बड़ी राहत है। हालांकि यह अंतिम फैसला नहीं है। उक्त मामला भविष्य में क्या मोड़ लेगा, अभी कुछ कहा नहीं जा सकता। निमिषा के परिजन रिहाई की कामना कर रहे हैं। भारत सरकार भी अपने स्तर पर कोशिश कर रही है। लिहाजा बेहतर की ही उम्मीद रखनी चाहिए। हर साल बड़ी संख्या में भारतीय नागरिक रोजगार के सिलसिले में विदेश जाते हैं। सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, कुवैत, बहरीन, ओमान जैसे देशों में कार्यबल का महत्त्वपूर्ण हिस्सा भारत से आता है। वहां वेतन (तुलनात्मक रूप से) काफी अच्छा मिलता है, लेकिन कानूनी सख्ती भी बहुत ज्यादा है। इन देशों में परंपरागत धार्मिक कानून लागू हैं। वहां विदेशी कामगारों के अधिकार अत्यंत सीमित हैं। इस बात को लेकर मानवाधिकार संगठन कई बार सवाल खड़े कर चुके हैं। 'शानदार नौकरी, मोटी कमाई, दोस्तों में रुतबा, रिश्तेदारों में इज्जत, सुरक्षित भविष्य' के सपने देखकर इन देशों में जा रहे हैं तो खूब सोच-विचार कर लेना चाहिए। वहां ज़िंदगी इतनी आसान नहीं है, जितनी बताई जाती है। वहां भारत जैसी आज़ादी नहीं है कि कोई समस्या हुई तो सोशल मीडिया पर लिख दिया, वीडियो बनाकर डाल दिया। इन देशों में एक सोशल मीडिया पोस्ट भी जान पर भारी पड़ सकती है। उधर जाकर मानवाधिकार और बराबरी की बात भूल ही जाइए। कामगारों को हमेशा याद रखना होता है कि 'हम यहां नौकरी करने आए हैं। जिस दिन नौकरी पूरी हो जाएगी, हमें अपने वतन लौटना होगा।'

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निमिषा प्रिया के मामले में यह बात सामने आई है कि उन पर जिस व्यक्ति (तलाल अब्दो महदी) की हत्या का आरोप लगा, उसने उनका पासपोर्ट रख लिया था। यह भी कहा जा रहा है कि शुरुआत में तो तलाल का व्यवहार ठीक था, लेकिन बाद में वह निमिषा को प्रताड़ित करने लगा था। यह किसी एक 'निमिषा' की कहानी नहीं है। ऐसा कई लोगों के साथ हो चुका है और हो रहा है। प्राय: इन देशों में नियोक्ता, कारोबारी साझेदार पहले बहुत मधुर बातें करते हैं। उसके बाद वे संबंधित व्यक्ति का पासपोर्ट रख लेते हैं। फिर वे धीरे-धीरे सख्ती करने लगते हैं। कई लोग अपने अनुभव साझा करते हुए बता चुके हैं कि उन्हें यह कहकर बुलाया गया था कि आपको दफ्तर का काम देंगे, लेकिन बाद में घरेलू काम करवाने लगे। कुछ लोगों को तो ऊंट चराने के लिए रेगिस्तानी इलाकों में भेज दिया गया। अगर कोई व्यक्ति विरोध करता है तो उसे प्रताड़ित किया जाता है। कुछ लोग तो यह भी कहते हैं कि उनके नियोक्ता भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, अफगानिस्तान, श्रीलंका के नागरिकों से बहुत सख्त बर्ताव करते हैं, चाहे काम में कोई गलती न हो। कामगार अपने साथ होने वाली ज्यादती के खिलाफ आवाज नहीं उठा सकते। अगर किसी ने ऐसा किया तो जेल भेज दिए जाएंगे और वहीं से स्वदेश रवानगी होगी! भविष्य में दोबारा आने पर पाबंदी रहेगी। पुराना वेतन, बकाया आदि कुछ नहीं मिलेगा। वहां का कानून हमेशा अपने नागरिक का पक्ष लेगा। एक और भारतीय नागरिक की आपबीती सुनकर रोंगटे खड़े हो जाएंगे। वह वर्षों सऊदी अरब में रहा, अच्छी-खासी कमाई की। उसने एक स्थानीय शख्स के साथ मिलकर कारोबार शुरू किया। वहां भी उसे फायदा होने लगा। एक दिन पता चला कि उसके साझेदार ने तीसरी शादी कर ली और हनीमून मनाने के लिए विदेश चला गया। यह जानकर उसके पैरों तले जमीन खिसक गई कि साझेदार ने बैंक खाते में जमा करोड़ों रुपए भी निकाल लिए। उसकी ज़िंदगीभर की कमाई डूब गई। उसने पुलिस थानों के खूब चक्कर लगाए, लेकिन कुछ नहीं हुआ। इन देशों में कमाई का दूसरा पहलू यह भी है। दूर से दिखाई दे रही तस्वीर इतनी उज्ज्वल नहीं है। अगर रोजगार के लिए विदेश जाना ही है तो ऐसे देशों में जाएं, जहां मानवाधिकारों की स्थिति बेहतर हो।

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