तप में तपने वाला तपस्वी कालजयी बनता है: साध्वीश्री पावनप्रभा
तप में काया को कसा जाता है

तप में त्याग और छोड़ने की वृत्ति होती है
केजीएफ/दक्षिण भारत। स्थानीय तेरापंथ सभा भवन में साध्वी श्री पावनप्रभाजी के सान्निध्य में तप अभिनंदन कार्यक्रम का आयोजन हुआ। साध्वीश्री पावनप्रभाजी ने कहा कि तप में त्याग और छोड़ने की वृत्ति होती है, इसलिए उनका अभिनंदन होता है। तप में काया को कसा जाता है।
भारत में दो प्रकार के संस्कृतियां है उपभोगवाद व आध्यात्मवाद। जो उपभोगितावाद के होते हैं वे आध्यात्मवाद के रस को नहीं जान सकता और त्याग के महत्व को नहीं पहचान सकते। तपस्या में कोई आडम्बर नहीं करना चाहिए।उन्होंने कहा कि साध्वीश्री रम्यप्रभाजी भी तपस्या की लड़ी से जुड़ गई हैं। साध्वी श्री उन्नतयशाजी ने क़हा कि जो अग्नि में जला वो क्षण में खीरा (अंगार) बना व जिसने तप से शरीर को तपाया वो कालजयी बन गया।
सभा के अध्यक्ष सुदर्शन बांठिया ने सभी का स्वागत किया। महिला मंडल की अध्यक्ष सरिताबाई बांठिया, दर्शिता बांठिया, नमिता भंसाली, युवक परिषद के अध्यक्ष चेतन बांठिया कमलेश हिंगड, संदीप बांठिया सभी तपस्वियों की तप अनुमोदना की। साध्वी उन्नतयशाजी से संचालन किया। सभा के मंत्री सुशील बांठिया ने आभार व्यक्त किया।
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