धर्म की उपासना पद्धति गुरु और परमात्मा से बढ़कर होती है: कमल मुनि कमलेश
सबका लक्ष्य एक ही है- आध्यात्मिक चेतना का विकास

उपासना पद्धति में आई विकृतियों को दूर करना क्रांतिकारी युगपुरुष कर सकते हैं
चेन्नई/दक्षिण भारत। यहां साहुकारपेट स्थित जैन भवन में मंगलवार को राष्ट्रसंत कमल मुनि जी कमलेश ने संबोधित करते कहा कि धर्म की उपासना पद्धति गुरु और परमात्मा से बढ़कर होती है, जिसके माध्यम से आने वाली पीढ़ी में संस्कारों का निर्माण होता है। हमारे जैसे संतों का निर्माण भी उसी की देन है। किसी भी धर्म की उपासना पद्धति बाहर की अलग हो सकती है लेकिन सबका लक्ष्य एक ही है आध्यात्मिक चेतना का विकास।
उन्होंने कहा कि किसी भी धर्म उपाध्याय पद्धति का उपहास करना, अपमान करना, तिरस्कार, करना नीचा दिखाना, इससे बड़ा अधर्म और पाप और कुछ नहीं हो सकता। जो संस्कृति पर कुल्हाड़ी मरने जैसा करने का काम कर रहा है।मुनि कमलेश ने कहा कि द्रव्य क्षेत्र कल भाव अनुसार उपासना पद्धति में परिवर्तन होना सामान्य बात है। वह परिवर्तन भी उपासना पद्धति की रक्षा के लिए होता है। परंपरावादी परिवर्तन को पचा नहीं सकते और समय के साथ चलने वाले को पानी पीकर कोसते हैं वह धर्म और परमात्मा के दुश्मन है।
राष्ट्रसंत ने कहा कि किसी भी धर्म की उपासना पद्धति को ऊंचा और नीचे दिखाने का काम करना मात्र अपने अहंकार का पोषण करने के समान है। उपासना ऊंची नहीं कि नहीं होती, उसके माध्यम से उठने वाले पवित्र भाव जितने महान होंगे उतना ही वह पूजनीय बनेगा।
जैन संत ने बताया कि उपासना पद्धति में आई विकृतियों को दूर करना क्रांतिकारी युगपुरुष कर सकते हैं सती प्रथा हो बलि प्रथा हो हो को दूर करके समाज का सच्चा मार्गदर्शन किया। वह हमारे लिए किसी परमात्मा से कम नहीं है। संघ के महामंत्री डॉ संजय पिंचा ने संचालन किया।
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