हमें हर पल परमात्मा का स्मरण रखना चाहिए: साध्वी हर्षपूर्णाश्री
'हमें परमात्मा से यही प्रार्थना करनी चाहिए कि हम मार्गानुसारी जीवन व्यतीत कर सकें'

'हमें तीन लोक के नाथ का स्मरण कभी नहीं छोड़ना है'
बेंगलूरु/दक्षिण भारत। शहर के जिनकुशलसूरी जैन दादावाड़ी ट्रस्ट बसवनगुड़ी के तत्वावधान में चातुर्मास हेतु विराजित साध्वी हर्षपूर्णाश्रीजी ने रविवार को अपने प्रवचन में कहा कि एक छोटा सा निमित्त मिलते ही हमारा मन भटक जाता है। हमारा मन और पांचों इंद्रियां मिलकर हमारे मन को विचलित कर देती हैं। हमें हर दैनिक क्रिया करते समय जयणा (अहिंसा) का पालन करना चाहिए। थोड़ी सी भी असावधानी रखने से अनेक जीवों की हिंसा हो सकती है।
हमारे अपने अंत:करण को वश में करने के लिए हमें परमात्मा का स्मरण करना चाहिए। जो भी हमने अच्छे कार्य किए हैं उनका स्मरण सतत करना है, ताकि हमारे अंतिम समय में भी वह कार्य स्मरण में आए तब हमारे भाव अच्छे हों और अच्छे कार्य के प्रति अनुमोदना हो सके। हमारे अंतिम समय में जैसी मति रहेगी वैसे ही हमारी आगामी भवगति मिलेगी।हमें परमात्मा से यही प्रार्थना करनी चाहिए कि हम मार्गानुसारी जीवन व्यतीत कर सकें। करण के साथ जब स्मरण जुड़ जाता है तब हमारी आत्मा का कल्याण हो जाएगा। हम करण और स्मरण द्वारा इस भव के भी जीत सकते हैं। हमें तीन लोक के नाथ का स्मरण कभी नहीं छोड़ना है। हमें सिर्फ और सिर्फ परमात्मा की शरण को पकड़ कर रखना चाहिए।
रविवार को विशेष कार्यक्रम में दादा गुरुदेव इकतीसा पर आठ टीमों के बीच रोचक क्विज प्रतियोगिता आयोजित की गई।