बेंगलूरु भगदड़: कर्नाटक सरकार ने उच्च न्यायालय में क्या कहा?
आईपीएस अधिकारी विकास कुमार के निलंबन को उचित ठहराया

Photo: PixaBay
बेंगलूरु/दक्षिण भारत। कर्नाटक सरकार ने गुरुवार को उच्च न्यायालय के समक्ष आईपीएस अधिकारी विकास कुमार के निलंबन को उचित ठहराया। उसने तर्क दिया कि अधिकारी और उनके सहयोगियों ने आईपीएल जीत के जश्न की तैयारियों के दौरान ऐसा व्यवहार किया, जैसे वे 'आरसीबी के नौकर' हों। इसके कारण सार्वजनिक शर्मिंदगी हुई और भगदड़ मच गई, जिसमें 11 लोगों की जान चली गई और 33 अन्य घायल हो गए।
राज्य की ओर से पेश वरिष्ठ वकील पीएस राजगोपाल ने अदालत को बताया कि आईपीएल का अंतिम मैच खेले जाने से पहले ही रॉयल चैलेंजर्स बेंगलूरु (आरसीबी) ने अपनी जीत के जश्न के संबंध में पुलिस अधिकारियों को एक प्रस्ताव सौंपा था।इतने बड़े सार्वजनिक समारोह के लिए अनुमति लेने के बजाय, अधिकारियों ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों से परामर्श किए बिना या आवश्यक अनुमति की पुष्टि किए बिना ही सुरक्षा व्यवस्था करनी शुरू कर दी थी।
राजगोपाल ने कहा, 'आईपीएस अधिकारी की ओर से सबसे स्पष्ट प्रतिक्रिया यह होनी चाहिए थी: आपने अनुमति नहीं ली है।'
'तब तो आरसीबी को उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ता और कानून अपना काम करता।' उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि ज़िम्मेदारी से काम न करने की इस नाकामी के कारण संचालन में खामियां पैदा हुईं और कर्तव्य का गंभीर उल्लंघन हुआ।
यह तर्क देते हुए कि 12 घंटे से कम समय में भारी भीड़ के लिए व्यवस्था करना अव्यावहारिक था, राजगोपाल ने सवाल उठाया कि निलंबित अधिकारी ने उस दौरान क्या सक्रिय कदम उठाए थे।
उन्होंने कर्नाटक राज्य पुलिस अधिनियम की धारा 35 का हवाला दिया, जो पुलिस को आवश्यक कार्रवाई करने का अधिकार देती है, और इस अधिकार का उपयोग न करने के लिए अधिकारियों की आलोचना की।
उन्होंने कहा कि वरिष्ठ स्तर पर कोई परामर्श नहीं हुआ तथा अधिकारियों को केवल आगे की क्षति को रोकने के लिए अंतरिम निलंबन पर रखा गया था।
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