सोचें…. कैसे बचेंगे बाघ?
सोचें…. कैसे बचेंगे बाघ?
देश में बाघों की लगातार कम होती संख्या सरकार और पशुप्रेमियों के लिए चिंता का विषय है। कभी लोगों के बीच अपनी दहा़ड से दहशत पैदा कर देने वाले बाघ आज अपने अस्तित्व की ल़डाई ल़ड रहे हैं। आज केवल बाघों की आठ में से पांच प्रजातियां ही बची हैं। वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ के मुताबिक, वर्ष २०२२ तक बाघ भारत के जंगलों से विलुप्त हो जाएंगे। ब़ढते शहरीकरण और सिकु़डते जंगलों ने जहां बाघों से उनका आशियाना छीना है, वहीं मानव ने भी बाघों के साथ क्रूरता बरतने में कोई कसर नहीं छो़डी है, जिसका परिणाम हमारे सामने है। नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष २०१७ में ११५ बाघों को अपनी जान से हाथ धोना प़डा है। इनमें ३२ मादा और २८ नर बाघ हैं। मारे गए शेष बाघों की पहचान नहीं हो सकी है। वर्ष २०१७ में बाघों की मौत के मामले में मध्यप्रदेश अव्वल रहा है। वहां २९ बाघों की मौत हुई। इसके बाद महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तराखंड और असम हैं। ८४ प्रतिशत बाघों की मौत इन्हीं ५ राज्यों में हुई। आंक़डों के अनुसार देखें तो साल २०१६ में १२० बाघों की मौतें हुईं थीं, जो साल २००६ के बाद सबसे अधिक थी। वर्ष २०१५ में ८० बाघों की मौत की पुष्टि की गई थी। इससे पहले साल २०१४ में यह संख्या ७८ थी। आज दुनिया में केवल ३,८९० बाघ ही बचे हैं्। अकेले भारत में दुनिया के ६० फीसदी बाघ पाये जाते हैं। लेकिन भारत में बाघों की संख्या में बीते सालों में काफी गिरावट आई है। एक सदी पहले भारत में कुल एक लाख बाघ हुआ करते थे। यह संख्या आज घटकर महज १५ सौ रह गई है। ये बाघ अब भारत के दो फीसदी हिस्से में रह रहे हैं।गति और शक्ति के लिए पहचाने जाने इन बाघों की संख्या में आने वाली इस गिरावट के पीछे कई कारण हैं। इसमें पहला कारण तो निरंतर ब़ढती आबादी और तीव्र गति से होते शहरीकरण की वजह से दिनोंदिन जंगलों का स्थान कंक्रीट के मकान लेते जा रहे हैं। यूं कहे कि जंगल में जबरन घुसे विकास ने जानवरों के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिह्न लगा दिया है। वनों का दायरा लगातार घटने से बाघों के रहने के स्थान सिकु़ड गए हैं। दूसरा कारण बाघों की तस्करी है। बाघों के साम्राज्य में डिजिटल कैमरे की घुसपैठ और पर्यटन की खुली छूट के कारण तस्कर आसानी से बाघों तक पहुंच रहे हैं। चीन में कई देसी दवा, औषधि और शक्तिवर्द्धक पेय बनाने में बाघ के अंगों के इस्तेमाल के ब़ढते चलन के कारण भी बाघों की तस्करी ब़ढी। अन्य देशों के लोग अपने निजी स्वार्थपूर्ति के लिए बाघों की तस्करी और शिकार कर उनके अंग चीन को भेज रहे हैं जिसके कारण बाघों की संख्या घट रही हैं। वैज्ञानिकों ने एशिया में बाघों की आबादी की ब़ढोत्तरी के लिए ४२ वनक्षेत्रों कीे मुफीद पाया है, लेकिन कई देशों में इन वनक्षेत्रों की हालत में सुधार नहीं आने के कारण बाघों की वंशवृद्धि नहीं हो पा रही है।