जीएसटी में बदलाव

जीएसटी में बदलाव

सरकार द्वारा वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू किए हुए तीन महीनों से अधिक समय बीत चुका है और सरकार के अनुमान अनुसार ही राजस्व भी प्राप्त करने में सरकार को सफलता मिल रही है। सरकार ने जीएसटी को नागरिकों के लिए आसान बनाने की बात कही थी। जिस तरह से पहले तय की गई कर दरों में कमी की गयी है और साथ ही सरकार द्वारा अश्वासन दिया गया है कि भविष्य में भी लगातार जनता को हो रही परेशानियों को समझते हुए इसमें बदलाव करने की बात वित्त मंत्री ने कही उससे जीएसटी के प्रति सरकार की गंभीरता सा़फ ऩजर आती है। कुछ वस्तुओं पर कर की दरें कम करने के सरकार के फैसले का स्वागत किया जाना चाहिए। हमारी जनता को सरकार विकास के नए अवसर प्रदान कर रही है और इन नई योजनों के लिए सरकार को अपने राजस्व पर ध्यान रखना होता है। हालाँकि सरकार को अभी जीएसटी प्रणाली को सक्षम बनाने के लिए बहुत कुछ करना बाकी है। हमारे देश में रोजगार को ब़ढावा देने के लिए सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम बहुत ब़डी भूमिका निभाते हैं और जीएसटी की नीतियों की सबसे ज्यादा परेशानी इस वर्ग को झेलनी भी प़ड रही हैं।जीएसटी के ज्यादातर मानदंड इन छोटे उद्योगों के लिए परेशानी बने हुए हैं। जीएसटी नियमों के अनुपालन की मुश्किल की अनोखी समस्या भी उद्यमियों के सामने ख़डी है। अनेक उद्यमियों को यह नहीं समझ आ रहा है कि उनके कार्यक्षेत्र पर जीएसटी की क्या दर लागू होगी और इसका कारण क्या है। हालाँकि सरकार ने जीएसटी सम्बन्धी जानकारी के प्रति जागरुकता ब़ढाने की काफी कोशिश की है और लगातार विज्ञापनों और संगोष्ठियोें के जरिए व्यापारियों और उद्यमियों को अवगत कराने की भरपूर कोशिश की है। साथ ही पहले दो महीनों के दौरान जीएसटी जमा कराने के नियमों में भी रियायत बरती गयी है। अपंजीकृत विक्रेताओं को जीएसटी अपनाने तथा बनाए गए नए नियमों पर समझ और स्पष्टता में कुछ राहत तो अवश्य मिली है, लेकिन अभी भी गंभीरता से छानबीन करने की आवश्यकता है और उनमें सरकार को सबसे अधिक ध्यान लघु व सूक्ष्म उद्योगों की समस्याओं पर ही देना होगा। छोटे उद्योगों के कमजोर होने का सीधा असर कामगारों पर प़डता है और बेरोजगारी ब़ढती है। खेती के बाद सबसे ज्यादा रोजगार इन छोटे उद्योगों द्वारा ही पैदा किए जाते हैं। अच्छी बात यह है कि औपचारिक तौर पर काम करने वाले छोटे उद्योगों को बैंकों से कर्जा लेने में कोई दिक्कत नहीं हो रही है। बैंक नए उद्योगों को ब़ढावा देने के लिए तत्पर हैं। भविष्य में भी छोटे उद्योगों की समस्याओं पर ध्यान देते हुए सरकार को अगर आवश्यक हो तो कर नियमों में बदलाव करने के लिए तैयार रहना होगा।

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