वीआईपी संस्कृति हो समाप्त

वीआईपी संस्कृति हो समाप्त

काफी विलंब से ही सही लेकिन हमारे रेल मंत्री पीयूष गोयल द्वारा वीआइपी संस्कृति को समाप्त करने की दिशा में जो नई कोशिश की गयी है उसका हमें स्वागत करना चाहिए। रेलमंत्री ने पिछले ही दिनों नए आदेश जारी करते हुए रेलवे बोर्ड के सदस्यों से लेकर विभिन्न जोन के महाप्रबंधक और सभी पचास मंडलों के प्रबंधकों को सरकारी यात्राओं के लिए स्लीपर एवं एसी-थ्री टायर श्रेणियों में सफर करने को कहा है। साथ ही भारतीय रेल के ब़डे अधिकारियों के बंगलों पर घरेलू नौकरों की तरह काम करने वाले ट्रैकमैन श्रेणी के रेलवेकर्मियों को तुरंत वहां से मुक्त कर उनकी वास्तविक ड्यूटी पर भेजा जाएगा। ऐसे कर्मचारियों का आंक़डा चौंकाने वाला है, लगभग तीस हजार ट्रैकमैन बरसों से अधिकारियों के घरों पर घरेलू नौकरों की तरह काम रहे हैं, जबकि उनका वेतन विभाग से दिया जा रहा है। रेल मंत्रालय द्वारा या एक महत्वपूर्ण कदम है जो छत्तीस साल पुराने एक प्रोटोकॉल नियम को भी रद्द्द करते हुए भारतीय रेल को भविष्य के लिए तैयार करता ऩजर आरहा है। प्रोटोकॉल नियम में महाप्रबंधकों के लिए अनिवार्य था कि वे रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और सदस्यों की क्षेत्रीय यात्राओं के दौरान उनके आगमन और प्रस्थान के समय मौजूद रहेंगे। इस फैसले में अहम् भूमिका रेलवे बोर्ड की है। वर्ष १९८१ में बनाए गए इस प्रोटोकॉल को रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष ने समाप्त करने का एलान किया था। उन्होंने यह निर्देश भी दिया है कि किसी भी अधिकारी को कोई गुलदस्ता या उपहार नहीं भेंट किया जाएगा।सच तो यह है देश में वीआईपी संस्कृति को समाप्त करना आसान नहीं है। केवल गाि़डयों पर से लालबत्ती हटने तक इस मुद्दे को सीमित नहीं रखा जा सकता है। इस साल अप्रैल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने मन की बात संबोधन में कहा था कि सारे देश में वीआइपी संस्कृति के प्रति देश भर में गुस्से के बात कही थी, उस समय उन्होंने यह भी कहा था की वीआइपी (वेरी इंपोर्टेंट पर्सन) संस्कृति को बदल कर इपीआइ (एवरी पर्सन इंपोर्टेंट) संस्कृति लागू करना आवश्यक है। देश के सभी नागरिकों को अहमियत देना जरूरी हो चुका है। रेल मंत्री के इस फैसले से जहाँ एक तरफ प्रधानमंत्री के ही उस संदेश को सरकार आगे ब़ढती ऩजर आरही हैं वहीँ इस बात पर भी गौर करने की आवश्यकता है की कहीं रेल विभाग जैसे अन्य सरकारी विभागों में भी वीआईपी संस्कृति को समाप्त करने के लिए सरकार को आवश्यक कदम उठाने पद सकते हैं्। साथ ही अधिकारियों को कार्यकुशलता ब़ढाने का भी सुनहरा अवसर प्रदान करने में सरकार को सफलता मिलेगी। अधिकारियों के दर्जे का खौफ कम होगा और विभागों में प्रतिस्पर्धा भी ब़ढेगी। सरकार और सरकारी विभागों में नई संस्कृति से देश के विकास रथ को गति मिलना स्वाभाविक है।

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