कर्नाटक में चुनावी बयार, पार्टियां भी हुंकार भरने के लिए तैयार
राजनीतिक दलों ने आगामी विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए चुनाव प्रचार अभियान के आगाज़ की तैयारियां शुरू कर दी हैं
बेंगलूरु/दक्षिण भारत। कर्नाटक में विधानसभा चुनाव में करीब नौ महीने बाकी हैं, लेकिन इसकी बयार अभी से बहने लगी है। राज्य में राजनीतिक पार्टियां तैयारी में जुट गई हैं। भाजपा, कांग्रेस और जद (एस) ने अपने मतदाताओं को साधना शुरू कर दिया है।
एक ओर जहां भाजपा अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाने के लिए 'घर-घर पे तिरंगा' अभियान से राष्ट्रवाद पर जोर देने की तैयारी में है, वहीं कांग्रेस 'स्वातंत्र्यदा अमृत महोत्सव वॉक' और उसके बाद 'भारत जोड़ो' यात्रा अभियान की तैयारी कर रही है। जद (एस) भी मतदाताओं को लुभाने के लिए 'जनता जलधारे' और 'जनता मित्र' को पूरा करने के बाद अगस्त में 'पंचरत्न यात्रा' के लिए कमर कस रही है।इसी सिलसिले में पूर्व मुख्यमंत्री सिद्दरामैया के जन्मदिन समारोह और मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के कार्यकाल का एक साल पूरा होने पर आयोजन किए जाएंगे।
कुल मिलाकर इन राजनीतिक दलों ने आगामी विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए चुनाव प्रचार अभियान के आगाज़ की तैयारियां शुरू कर दी हैं। सूत्रों अनुसार, राजनीतिक दल इस गुणा-गणित में व्यस्त हैं कि पिछली बार किन सीटों पर अच्छा प्रदर्शन किया और कहां कमी रह गई।
कौन बनेगा भाजपा प्रदेशाध्यक्ष?
सत्तारूढ़ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नलिन कुमार कतील का कार्यकाल अगस्त में समाप्त हो रहा है। अब देखना यह है कि पार्टी यह पद किसे सौंपेगी। चूंकि नए अध्यक्ष पर राज्य में दोबारा 'कमल' खिलाने की जिम्मेदारी भी होगी।
मतदाताओं को साधने की चुनौती
कांग्रेस और जद (एस) दोनों में उन समुदायों का प्रतिनिधित्व है, जो संख्याबल में हार-जीत को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। कांग्रेस के पास पहले से ही कुरुबा समुदाय के विपक्षी नेता, केपीसी अध्यक्ष जो वोक्कालिगा के तौर पर भी पहचान रखते हैं। इसी प्रकार प्रचार समिति के अध्यक्ष लिंगायत समुदाय से आते हैं।
साथ ही, जद (एस) में मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले एक अध्यक्ष, वोक्कालिगा समुदाय से एक विधायक दल नेता, एक कोर कमेटी अध्यक्ष जो कुरुबा से आते हैं और एक संसदीय दल अध्यक्ष दलित समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं।
चूंकि मुख्यमंत्री लिंगायत समुदाय से हैं। ऐसे में इस पर खास नजर है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष किसे बनाएगी।
इसलिए बढ़ी सक्रियता
तीनों दल अपनी-अपनी रणनीति से चुनावी जंग की तैयारी कर रहे हैं। उनका ध्यान अपने मतदाताओं को पक्ष में करने पर है। माना जा रहा है कि इन राजनीतिक दलों की सक्रियता की एक वजह राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव भी हैं।
क्या कहते हैं नेता?
'हमने चुनाव के लिए कार्य योजना तैयार की है। हर महीने अलग-अलग जिलों में दो कॉन्फ्रेंस करने जा रहे हैं। अपनी सरकार की उपलब्धियों को जनता तक पहुंचाएंगे।'
महेश तेंगिंकाई, भाजपा प्रदेश महासचिव
'उन योजनाओं को उजागर करने जा रहे हैं, जब हम सत्ता में थे। केंद्र और राज्य सरकार की विफलताओं को भी सामने लाएंगे।'
डीके शिवकुमार, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष
जद (एस) भाजपा और कांग्रेस दोनों के नैरेटिव का मुकाबला करेगी। जनता ने इन दोनों पार्टियों का शासन देखा है।
एचडी कुमारस्वामी, पूर्व मुख्यमंत्री