क्या आंध्र में चंद्रबाबू से अलग होने पर भी भाजपा को नहीं होगा नुकसान?

क्या आंध्र में चंद्रबाबू से अलग होने पर भी भाजपा को नहीं होगा नुकसान?

हैदराबाद। आंध्रप्रदेश में इन दिनों सियासी महौल तेजी से बदलता दिखाई दे रहा है। भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन में सरकार बनाने वाली तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के अध्यक्ष और राज्य के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू केन्द्र की राष्ट्रीय जनतांंत्रिक गठबंधन सरकार से राज्य को विशेष दर्जा देने की मांग कर रहे हैं। केन्द्र सरकार पर दबाव बनाने के उद्देश्य से टीडीपी के दो मंत्रियों ने केन्द्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा भी दे दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि राज्य में अपनी छवि बरकरार रखने के लिए टीडीपी की यह मजबूरी हो गई थी कि उसके मंत्री केन्द्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दें।आंध्रप्रदेश में इन दिनों बदलते राजनीतिक समीकरण के साथ कई पार्टियां राज्य की सियासत में जो़ड आजमाईश कर रही हैं और ऐसी स्थिति में यदि भाजपा टीडीपी से अलग भी हो जाती है तो भी भाजपा को कोई खास नुकसान नहीं होगा। भाजपा आंध्रप्रदेश में भी महाराष्ट्र फॉर्मूला को लागू करने की कोशिश करना चाह रही है। महाराष्ट्र में शिवसेना ने जब भाजपा गठबंधन से नाता तो़डा था तो कमोबेश यही स्थितियां थीं जो मौजूदा समय में आंध्रप्रदेश में हैं। जिस प्रकार महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी, कांग्रेस और भाजपा मैदान में थी उसी प्रकार आंध्र प्रदेश में डीडीपी, वाईएसआर, कांग्रेस और जनसेना जैसी पार्टियां मैदान में हैं। कई पार्टियों के मैदान में होने के कारण भाजपा के नेताओं को ऐसा महसूस हो रहा है कि यदि राज्य में प्रधानमंत्री मोदी को चेहरा बनाकर चुनाव ल़डा जाए तो भाजपा को नुकसान के बदले फायदा ही होगा। जिस प्रकार त्रिपुरा जैसे वामपंथ के गढ में और देश के अन्य राज्यों में भाजपा को समर्थन मिल रहा है उसी प्रकार से आंध्रप्रदेश में भी मिलेगा। पिछले कुछ महीनों से ही भाजपा और टीडीपी के रिश्ते में उस समय से खटास आनी शुरु हो गई थी जब जिला परिषद के चुनाव के दौरान टीडीपी ने अपने पास ज्यादा सीटें रखी थी। आंध्रप्रदेश मंें लोकसभा की २५ सीटें हैं लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान टीडीपी ने मात्र ४ सीटें भाजपा को दी थी और इन सीटों पर भाजपा ७ फिसदी वोट अपने पाले में करने में कामयाब हुई थी। ऐसे में भाजपा आंध्र्रप्रदेश में पार्टी के विस्तार के लिए मौजूदा समय को उपयुक्त मान रही है।राज्य में भाजपा के नेताओं ने इस इस्तीफे को अगले वर्ष राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव से पूर्व टीडीपी अपने आप को श्रेष्ठ दिखाने के लिए इस्तीफा दिया है। भाजपा के आंध्रप्रदेश के प्रदेशाध्यक्ष हरि बाबू का आरोप है कि विशेष दर्जे के लिए वाईएसआर कांग्रेस और टीडीपी दोनों अपने आप को श्रेष्ठ बताने की कोशिश कर रहे हैं और मौजूदा समय में इसके दो मंत्रियों को इस्तीफा एक राजनीतिक चाल से अधिक कुछ नहीं हैं। भाजपा के राज्य के नेताओं का कहना है कि राज्य में भाजपा तीसरे मोर्चे के रुप में उभरने की क्षमता रखती है और यदि राज्य में पार्टी के ट्रैक रिकार्ड पर गौर किया जाए तो इससे साफ तौर पर यह पता चलता है कि टीडीपी के भाजपा से अलग होने के बावजूद भी भाजपा को नुकसान नहीं होगा।

Tags:

About The Author

Dakshin Bharat Android App Download
Dakshin Bharat iOS App Download