चीन के लिए जासूसी के आरोप में गिरफ्तार पत्रकार के वकील ने किया यह दावा

चीन के लिए जासूसी के आरोप में गिरफ्तार पत्रकार के वकील ने किया यह दावा

चीन के लिए जासूसी के आरोप में गिरफ्तार पत्रकार के वकील ने किया यह दावा

गिरफ्तार पत्रकार राजीव शर्मा

नई दिल्ली/भाषा। जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किए गए स्वतंत्र पत्रकार राजीव शर्मा के वकील ने रविवार को दावा किया कि उनके मुवक्किल के खिलाफ सरकारी गोपनीयता कानून के तहत दर्ज मामला “झूठा” है और पुलिस ने “सबूतों को गढ़ा” है।

दिल्ली पुलिस ने शनिवार को कहा था कि पीतमपुरा के रहने वाले शर्मा कथित रूप से भारत की सीमा रणनीति, सेना की तैनाती और खरीद तथा विदेश नीति से संबंधित संवेदनशील जानकारी चीनी खुफिया एजेंसियों को दे रहे थे।

दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने उन्हें सरकारी गोपनीयता कानून के तहत गिरफ्तार किया है और बताया है कि उनके पास से कथित रूप से रक्षा से संबंधित गोपनीय दस्तावेज मिले हैं।

पत्रकार की पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील आदिश अग्रवाल ने आरोप लगाया कि पुलिस का यह दावा “सच नहीं है” कि उनके पास से दोष साबित करने वाले सबूत मिले हैं।

अग्रवाल ने कहा, “हम इस बात से इनकार नहीं कर रहे हैं कि वह चीन के समाचार संस्थान के लिए काम कर रहे थे। विवाद सिर्फ पुलिस के इस दावे को लेकर है कि उन्हें दोष साबित करने वाले सबूत मिले हैं, जो सच नहीं है।”

अग्रवाल ने कहा, “सबूतों को बाद में गढ़ा गया है। पुलिस ने उन्हें (शर्मा) को 14 सितंबर को हिरासत में लिया, उसी रात उनके घर की तलाशी ली गई और दोष साबित करने वाला कोई सबूत नहीं मिला। उन्हें झूठे मामले में फंसाया जा रहा है। उन्होंने कोई अपराध नहीं किया है।”

वकील ने कहा कि पुलिस गिरफ्तारी के दिन ही मीडिया को सूचना दे सकती थी लेकिन उसने ऐसा नहीं किया, क्योंकि उसे कोई सबूत मिला ही नहीं।

उन्होंने आरोप लगाया, “जब उन्होंने (पुलिस ने) विश्लेषण किया और कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला तो, उन्होंने (पुलिस ने) सबूतों को गढ़ा।”

अग्रवाल ने दावा किया, “वे (पुलिस) रक्षा मंत्रालय के किसी अधिकारी से पूछताछ नहीं कर रहे हैं। उन्हें (शर्मा को) यह दस्तावेज किसी से मिले होंगे। ऐसा तो नहीं है कि उन्होंने दस्तावेजों को अपने घर में छापा होगा।”

अग्रवाल ने यह भी आरोप लगाया कि शर्मा के परिवार को उनसे मिलने नहीं दिया जा रहा है, और न ही आरोपों के संबंध में उन्हें कोई जानकारी दी गई है।

उन्होंने कहा, “प्राथमिकी की कोई प्रति ऑनलाइन अपलोड नहीं की गई है। कई बार अनुरोध के बावजूद पुलिस ने प्राथमिकी की प्रति नहीं दी है। उन्हें जब वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए न्यायाधीश के समक्ष पेश किया गया तो उन्हें वकील से तक से बात नहीं करने दी गई।”

अग्रवाल ने इसे “गैर कानूनी” बताया। वकील ने कहा कि पुलिस के पास सिर्फ एक चीज है कि शर्मा चीन के एक समाचार संस्थान के लिए काम कर रहे थे।

उन्होंने कहा, “हमारे देश ने चीन के साथ कारोबार रोका नहीं है। चीन के बहुत से लोग यहां काम कर रहे हैं और बहुत से भारतीय वहां काम कर रहे हैं। इसमें कुछ गलत नहीं है।”

शर्मा के वकील ने दिल्ली की एक अदालत में जमानत के लिए आवेदन दायर किया है जिसपर 22 सितंबर को सुनवाई होनी है। इस आवेदन में वकील ने कहा है कि “इस बात का कोई खतरा नहीं है कि वह न्याय की प्रक्रिया से बच निकलेंगे।”

आवेदन में कहा गया है, “आवेदक की समाज में गहरी जड़ें हैं और वह सम्मानित वरिष्ठ पत्रकार हैं। उनकी पत्नी दिल्ली विश्वविद्यालय के वेकेंटश्वर कॉलेज में असोसिएट प्रोफेसर हैं।”

उसमें कहा गया है, “किसी गवाह को प्रभावित करने या सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने का कोई खतरा नहीं है। जांच में आवदेक को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत नहीं होगी। जब भी निर्देशित किया जाएगा वह जांच में शामिल हो सकते हैं।”

उसमें कहा गया है कि आरोपी 61 वर्ष के हैं और साइनस की गंभीर परेशानी से जूझ रहे हैं। उन्हें नेब्युलाइज़र से दवा लेने की जरूरत होती है।

जमानत आवेदन में कहा गया है, “उनके (साइनस के) दो ऑपरेशन हो चुके हैं। इसी वजह से उन्हें कोविड-19 का ज्यादा खतरा है। वह उक्त रक्तचाप के भी मरीज हैं और वह 10 साल से इसकी दवाई ले रहे हैं।”

पुलिस ने आरोप लगाया है कि पत्रकार ने रिपोर्टों की शक्ल में कई दस्तावेजों को चीनी खुफिया अधिकारियों को भेजा है और बदले में उन्हें अच्छी रकम मिली है।

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