भोपाल गैस त्रासदी: केंद्र की याचिका पर उच्चतम न्यायालय 11 फरवरी को करेगा सुनवाई
भोपाल गैस त्रासदी: केंद्र की याचिका पर उच्चतम न्यायालय 11 फरवरी को करेगा सुनवाई
नई दिल्ली/भाषा। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि वह 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए अमेरिका स्थित यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन (यूसीसी) की उत्तराधिकारी कंपनियों से 7,844 करोड़ रुपए की अतिरिक्त राशि दिलाने का अनुरोध करने वाली केंद्र की याचिका पर 11 फरवरी को सुनवाई करेगा।
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने यह भी कहा कि उच्चतम न्यायालय में न्यायधीशों की अलग पीठ इस याचिका पर सुनवाई करेगी। पांच सदस्यीय पीठ का हिस्सा रहे न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट ने मंगलवार को यह कहते हुए इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया कि पहले वे इस मामले में भारत सरकार की ओर से पेश हुए थे जब सरकार ने पुनर्विचार का अनुरोध किया था।सुनवाई शुरू होने पर न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, हम 11 फरवरी को इस पर सुनवाई करेंगे। यह सुनवाई अन्य न्यायाधीश करेंगे। केन्द्र चाहता है कि गैस त्रासदी से पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने के लिए पहले निर्धारित की गई 47 करोड़ अमेरिकी डॉलर की राशि के अलावा यूनियन कार्बाइड और दूसरी फर्मों को 7,844 करोड़ रुपए अतिरिक्त देने का निर्देश दिया जाए।
यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन के भोपाल स्थित संयंत्र से दो-तीन दिसंबर, 1984 को एमआईसी गैस के रिसाव के कारण हुई त्रासदी में तीन हजार से अधिक लोग मारे गए थे और 1.02 लाख लोग इससे बुरी तरह प्रभावित हुए थे। यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन ने इस त्रासदी के लिए मुआवजे के रूप में 47 करोड़ अमेरिकी डॉलर दिए थे।
इस गैस त्रासदी से पीड़ित व्यक्ति पर्याप्त मुआवजा और इस जहरीली गैस के कारण हुई बीमारियों के समुचित इलाज के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं। केन्द्र ने दिसंबर, 2010 में मुआवजे की राशि बढ़ाने के लिए शीर्ष अदालत में सुधारात्मक याचिका दायर की थी। भोपाल की एक अदालत ने सात जून, 2010 को यूनियन कार्बाइड इंडिया लि. के सात अधिकारियों को इस हादसे के संबंध में दो साल की कैद की सजा सुनाई थी।
इस मामले में यूसीसी का अध्यक्ष वारेन एंडरसन मुख्य आरोपी था लेकिन वह मुकदमे की सुनवाई के लिए कभी भी पेश नहीं हुआ। भोपाल के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने एक फरवरी, 1992 को उसे भगोड़ा घोषित कर दिया था।भोपाल की अदालत ने एंडरसन की गिरफ्तारी के लिए 1992 और 2009 में गैर-जमानती वारंट जारी किए थे। एंडरसन की सितंबर 2014 में मृत्यु हो गई थी।