खबरों की खुराक से संवरेगा भविष्य

विद्यार्थियों को देश-दुनिया में हो रहीं घटनाओं की जानकारी होनी चाहिए

खबरों की खुराक से संवरेगा भविष्य

जो बच्चे नियमित रूप से समाचार पत्र पढ़ते हैं, उनकी शब्दावली अच्छी हो जाती है

हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में सुबह की प्रार्थना सभाओं में दैनिक समाचार पढ़ना अनिवार्य करने संबंधी फैसला सराहनीय है। इसके लिए स्कूलों में समाचार पत्रों की नियमित उपलब्धता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाना भी स्वागत योग्य है। विद्यार्थियों को पाठ्यपुस्तकों के साथ देश-दुनिया में हो रहीं घटनाओं की जानकारी होनी चाहिए। नब्बे के दशक तक स्कूलों की प्रार्थना सभाओं में समाचार पत्र पढ़ने का चलन खूब था। यह आज भी कुछ स्कूलों में है। ऐसा सभी स्कूलों में होना चाहिए। अगर बच्चों को विद्यार्थी जीवन में समसामयिक घटनाओं के बारे में पता न हो तो उन्हें भविष्य में कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में इनसे जुड़े प्रश्न आते हैं। आज स्कूलों और कॉलेजों के कई विद्यार्थी ऐसे हैं, जिन्हें फिल्म जगत के बारे में तो खूब पता है, लेकिन उन्हें अपने देश के महत्त्वपूर्ण पदों पर सेवारत लोगों के बारे में कोई जानकारी नहीं है। आज दुनिया तेजी से बदल रही है। पहले, जो टेक्नोलॉजी दशकों बाद आती थी, अब वह कुछ ही वर्षों में आ रही है। अगर विद्यार्थियों को ज़माने की ख़बर नहीं होगी तो वे प्रगति की दौड़ में पीछे रह जाएंगे। हिमाचल सरकार का उक्त फैसला विद्यार्थियों को किताबी ज्ञान से आगे लेकर जाने में सहायक सिद्ध होगा। इससे बच्चे दुनिया में आ रहे बदलावों को बेहतर ढंग से समझ सकेंगे, उनके मन में जिज्ञासा पैदा होगी और वे तर्क करने में सक्षम होंगे। समाचार पत्र पढ़ने से बच्चों की सोच का दायरा भी बढ़ेगा। ये बच्चे आगे चलकर सकारात्मक बदलाव के वाहक बनेंगे।  

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जो बच्चे नियमित रूप से समाचार पत्र पढ़ते हैं, उनकी शब्दावली अच्छी हो जाती है। उन्हें लिखने और बोलने का हुनर आ जाता है। वे परीक्षाओं में अच्छा प्रदर्शन करते हैं। उन्हें जीवन में विभिन्न अवसरों पर इसका लाभ मिलता है। समाचार पत्र पढ़ने से बच्चों में आलोचनात्मक सोच पैदा होगी और मौलिक चिंतन को बढ़ावा मिलेगा। दुनिया को देखने और समझने का उनका अपना नज़रिया होगा। इन दिनों सोशल मीडिया पर 'फेक न्यूज' भी खूब प्रसारित हो रही हैं। जो लोग रोजाना समाचार पत्र नहीं पढ़ते, वे उनके आसानी से शिकार बनते हैं। पिछले कुछ वर्षों में 'डिजिटल अरेस्ट' के नाम पर साइबर धोखाधड़ी की कई घटनाएं हो चुकी हैं। उनके शिकार भी वे लोग ज्यादा बने, जिन्हें समसामयिक घटनाओं की पर्याप्त जानकारी नहीं थी। समाचार पत्रों में साइबर विशेषज्ञ कई बार आगाह कर चुके हैं कि ऐसी धोखाधड़ी से बचें, लेकिन लोगों ने समय रहते ध्यान नहीं दिया। अगर स्कूली बच्चों को प्रार्थना सभाओं में इन घटनाओं के बारे में बताया जाए तो वे अपने परिवारों को जागरूक करेंगे। हिमाचल सरकार को अपने फैसले का दृढ़ता से पालन कराना होगा। ऐसा न हो कि शुरुआत में तो खूब उत्साह रहे, एक-दो महीने बाद पुराना ढर्रा चल पड़े। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि हर सरकारी स्कूल में समाचार पत्र समय पर पहुंचे। इस पहाड़ी राज्य में कुछ स्कूल दुर्गम इलाकों में हैं। अगर वहां प्रार्थना सभा से पहले समाचार पत्र न पहुंचे तो उसे पढ़ने के लिए कोई और समय निर्धारित किया जा सकता है। उस स्थिति में छुट्टी होने से आधा घंटा पहले समाचार सुनाने की व्यवस्था की जा सकती है। अगर इसके बाद (समाचारों पर आधारित) पांच महत्त्वपूर्ण प्रश्न लिखवाए जाएं तो बहुत बेहतर रहेगा। विद्यार्थियों के लिए हर पखवाड़े या महीने में प्रश्नोत्तरी जैसी प्रतियोगिता का आयोजन किया जा सकता है। उसके विजेताओं को सम्मानित करने का प्रावधान होगा तो विद्यार्थियों का हौसला बढ़ेगा।

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