स्वास्थ्य से खिलवाड़ कब तक?

गुटखा और पान मसाले पर प्रतिबंध लगाना चाहिए

स्वास्थ्य से खिलवाड़ कब तक?

गुटखा खाने वालों ने इसके पक्ष में बहुत कुतर्क गढ़ रखे हैं

झारखंड सरकार ने राज्य में गुटखा और पान मसाले की बिक्री, भंडारण एवं सेवन पर प्रतिबंध लगाने का फैसला कर नशाखोरी पर प्रहार किया है। हालांकि इस फैसले को लागू करते समय 'दूसरे पहलू' को भी ध्यान में रखना चाहिए। नशाखोरी को रोकना, हतोत्साहित करना बहुत अच्छी पहल है। यह उसी सूरत में कामयाब हो सकती है, जब प्रतिबंध लगाने के बाद सरकारें खूब सतर्कता से काम करें। प्राय: जहां शराबबंदी लागू की जाती है, वहां स्थानीय प्रशासन की सुस्ती और कुछ कर्मचारियों के भ्रष्टाचार के कारण अवैध शराब का धंधा जोर पकड़ने लगता है। इसी तरह गुटखा और पान मसाले के भी कई विकल्प मुहैया कराने वाले लोग सक्रिय हो सकते हैं। गुटखे की लत लगना अन्य मादक पदार्थों की तुलना में कम हानिकारक नहीं है। जो लोग इसके आदी हो जाते हैं, उन्हें यह समय पर न मिले तो वे सुस्ती महसूस करने लगते हैं। कई किशोर और नौजवान सिर्फ इस वजह से गुटखा खाने लगे, क्योंकि उन पर दोस्तों का दबाव था। अगर किसी मित्र मंडली में पांच बच्चे गुटखा खाएं और एक न खाए तो सब उसका मजाक उड़ाने लगते हैं। गुटखा और पान मसाले का बढ़ता चलन सिर्फ झारखंड की समस्या नहीं है। कई राज्यों में लोगों को इन पदार्थों की लत लग चुकी है। इनकी वजह से घरों में झगड़े होते हैं। जहां पिता, चाचा, ताऊ और दादा नशाखोरी करते हैं, वहां छोटे बच्चे इसकी ओर जल्दी आकर्षित होते हैं। राजस्थान के कई गांवों में गुटखे का नशा बहुत ज्यादा फैल चुका है। पहले, पुरुष ही गुटखा खाते थे। अब वहां कई महिलाओं को गुटखे की लत लग गई है।

Dakshin Bharat at Google News
गुटखा खाने वालों ने इसके पक्ष में बहुत कुतर्क गढ़ रखे हैं- 'इससे पाचन दुरुस्त रहता है, मन हल्का रहता है, कामकाज में फुर्ती आती है!' ये सभी भ्रांतियां हैं। गुटखा एक धीमे जहर की तरह है, जो मुंह के कैंसर समेत कई बीमारियां दे सकता है। जो लोग नियमित गुटखा खाते हैं, उनके दांत खराब हो जाते हैं। रही बात पाचन दुरुस्त करने, मन हल्का रखने और कामकाज में फुर्ती लाने की तो नियमित व्यायाम-प्राणायाम करें, संतुलित और सात्विक भोजन करें, ऋतु के अनुकूल दिनचर्या अपनाएं, एकाग्रचित्त होकर काम करें। इतना कर लेंगे तो गुटखा खाने की नौबत ही नहीं आएगी। लोग यह कहते मिल जाते हैं कि उनके पास धन नहीं था, अन्यथा वे कोई कारोबार करते, कोई हुनर सीखते, उच्च शिक्षा प्राप्त करते। आश्चर्यजनक रूप से उनमें ऐसे लोग भी मिल जाते हैं, जो गुटखा, पान मसाला आदि का नशा करते हैं। अगर वे गुटखे की मात्रा का प्रति किग्रा के आधार पर हिसाब लगाएं तो पता चलेगा कि यह बहुत महंगा नशा है। गुटखा और  पान मसाला ही नहीं, खैनी, बीड़ी, सिगरेट समेत आम दुकानों पर मिलने वाली सभी नशीली चीजें बहुत महंगी हैं। कोई अक्लमंद व्यक्ति इन पर खर्च होने वाली राशि को सही जगह निवेश करे या अपना कामकाज शुरू कर दे तो कुछ ही वर्षों में बहुत अच्छी स्थिति में पहुंच सकता है। जब साल 2020 में कोरोना लॉकडाउन लगा था तो लोगों ने पांच रुपए का गुटखा चौगुनी कीमत पर भी खरीद कर खाया था। भले ही परिवार में आर्थिक तंगी रही हो, लेकिन गुटखा बराबर खाएंगे! समाज में इस पदार्थ का इतना प्रसार हो चुका है कि अब कई जगह इसे नशा ही नहीं माना जाता। लोग कहते हैं, 'उनका लड़का बहुत अच्छा है ... सिगरेट, शराब को तो हाथ भी नहीं लगाता। सिर्फ गुटखा खाता है!' गांवों में कई बुजुर्ग 'आजकल के लड़कों' की आदतों और व्यवहार की निंदा करते हैं। वे कहते हैं कि 'लड़के बिगड़ गए, पहले छिपकर गुटखा खाते थे, अब सामने खाने लगे हैं, शर्म तो रही ही नहीं!' यह अलग बात है कि उन बुजुर्गों में से कई लोग हुक्का, चिलम, बीड़ी और खैनी के शौकीन हैं! अच्छी आदतों का संदेश बड़ों के जीवन से आना चाहिए। सरकारें क्रमबद्ध ढंग से हर तरह के नशे पर रोक लगाएं। देश के नागरिकों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने की इजाजत किसी को नहीं मिलनी चाहिए।

About The Author

Dakshin Bharat Android App Download
Dakshin Bharat iOS App Download

Latest News

अमेरिकी बेस पर दागी गईं मिसाइलों की संख्या परमाणु ठिकानों पर इस्तेमाल हुए बमों के बराबर: ईरान अमेरिकी बेस पर दागी गईं मिसाइलों की संख्या परमाणु ठिकानों पर इस्तेमाल हुए बमों के बराबर: ईरान
खामेनेई के एक्स अकाउंट @Khamenei_fa पर पोस्ट किया गया एक सांकेतिक चित्र
ईरानी मीडिया का दावा- 'युद्ध विराम पर सहमति नहीं जताई, ट्रंप बोल रहे झूठ'
सिद्दरामय्या दिल्ली में राष्ट्रपति और वित्त मंत्री से मुलाकात करेंगे
किशोर व युवा वर्ग से तय होगी देश के भविष्य की दिशा: आचार्यश्री विमलसागरसूरी
सिंध: जबरन धर्मांतरण, एक गंभीर त्रासदी
अमेरिकी हमला: युद्ध समाप्त या नई शुरुआत?
हवाई हमलों के बाद ईरान को ट्रंप की चेतावनी ... 'तो कहीं ज़्यादा ताकत से दिया जाएगा जवाब'