'परीक्षा पे चर्चा' में बोले मोदी- 'फेल होने से जिंदगी अटक नहीं जाती'
प्रधानमंत्री ने विद्यार्थियों, अभिभावकों और शिक्षकों के साथ संवाद किया

Photo: narendramodi FB Page
नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को 'परीक्षा पे चर्चा' कार्यक्रम में विद्यार्थियों, अभिभावकों और शिक्षकों के साथ संवाद किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि तनाव को मन में न लें और तय करें कि आपको आज कितना पढ़ना है। अगर आप यह कर लेते हैं तो इस तनाव से खुद को निकाल सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे समाज में दुर्भाग्य से यह घुस गया है कि अगर हम स्कूल में इतने नंबर नहीं लाए, दसवीं-बारहवीं में इतने नंबर नहीं आए तो जिंदगी तबाह हो जाएगी, इसलिए पूरे घर में तनाव हो जाता है। ऐसे में आपको खुद को तैयार करना है।प्रधानमंत्री ने कहा कि आप सम्मान मांग नहीं सकते, आपको सम्मान कमाना पड़ेगा। इसके लिए आपको खुद को बदलना होगा। नेतृत्व थोपा नहीं जाता, आपके आस-पास के लोग आपको स्वीकारते हैं। लीडर बनने के लिए टीम वर्क सीखना बहुत जरूरी है, धैर्य बहुत आवश्यक है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम रोबोट की तरह जी नहीं सकते, हम इंसान हैं। आखिरकार हम पढ़ाई क्यों करते हैं? आगे जाने के लिए। हम, हर स्तर पर अपने सर्वांगीण विकास के लिए पढ़ाई करते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आप (शिक्षक, अभिभावक) बच्चों को दीवारों में बंद करके एक प्रकार से किताबों का जेलखाना बना दें तो बच्चे ग्रो नहीं कर सकते हैं। बच्चों को खुला आसमान चाहिए, उनको अपनी पसंद की चीजें चाहिएं। अगर वो अपनी पसंद की चीजें अच्छे से करता है तो पढ़ाई भी अच्छे से करेगा। जिदंगी में परीक्षा ही सब कुछ है, इस प्रकार के भाव से नहीं जीना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सबसे अमूल्य टिप है- वर्तमान में रहना। अगर वो पल चला गया तो अतीत हो जाएगा, लेकिन अगर उस पल को हमने जी लिया, तो वो जिंदगी का हिस्सा बन जाता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि शिक्षकों से भी मेरा आग्रह है कि आप एक विद्यार्थी की दूसरे विद्यार्थी से तुलना मत कीजिए। किसी विद्यार्थी को, और विद्यार्थियों के बीच टोका मत कीजिए। अगर कुछ कहना है, तो उसे अलग से कहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सबसे पहले तो मेरा, मां-बाप और परिवारजन से आग्रह है कि आप अपनी संतानों को समझने और जानने का प्रयास कीजिए। उनकी इच्छाओं व क्षमताओं को समझिए। उसकी क्षमता के हिसाब से उसे मॉनिटर कीजिए और हो सके तो उसकी मदद कीजिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि फेल होने से जिंदगी अटक नहीं जाती है। आपको तय करना होगा कि जीवन में सफल होना है कि किताबों से सफल होना है। जीवन में सफल होने का एक उपाय यह होता है कि अपने जीवन की विफलताओं को अपना टीचर बना लें।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जीवन सिर्फ परीक्षाएं नहीं हैं, जीवन को समग्रता में देखना चाहिए। ज्यादातर दुनिया में जो विकास हुआ, उसमें एक भोगवादी संस्कृति पनपी। यह सब मेरा है, मेरी खुशी के लिए मुझे इसका उपयोग करना है। मुझे अगर अच्छा फर्नीचर चाहिए तो मैं दो सौ साल पुराना झाड़ काट दूंगा। इसने प्रकृति का सबसे ज्यादा विनाश किया। प्रकृति का शोषण वाला हमारा कल्चर नहीं है। हमारा लाइफस्टाइल ऐसा हो, जो प्रकृति की रक्षा करे, प्रकृति का पोषण करे।