अज्ञानता मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन: कमल मुनि कमलेश
अज्ञान अपने आप में अभिशाप माना गया है

आत्मा और शरीर का भेद ज्ञान होना ही सच्चा ज्ञान है
चेन्नई/दक्षिण भारत। यहां के साहूकारपेट स्थित जैन भवन में बुधवार को राष्ट्र संत कमल मुनि जी कमलेश ने कहा कि अज्ञान हमारा सबसे खतरनाक शत्रु है जो सही स्वरूप का साक्षात्कार नहीं होने देता। अज्ञान दशा में की गई अमृत जैसी आराधना साधना भी जहर में परिवर्तित हो जाती है।
उन्होंने कहा कि अज्ञान अपने आप में अभिशाप माना गया है। उसके लिए गुड़ और गोबर दोनों समान है, अच्छे और बुरे का निर्णय नहीं कर सकता, बुरे को अपना लेगा, अच्छे को छोड़ देगा अर्थ का अनर्थ हो जाता है।मुनि कमलेश ने बताया कि अनंत जन्मों के अज्ञान के अंधकार को एक पल मे ज्ञान का प्रकाश नष्ट कर देता है। आत्मा और शरीर का भेद ज्ञान होना ही सच्चा ज्ञान है। राष्ट्रसंत ने कहा कि ऑक्सीजन न मिले तो शरीर का ही नुकसान है, परंतु सम्यक ज्ञान न मिले तो आत्मा का जन्म-जनमन चरण में नुकसान है।
जैन संत ने कहा कि अधूरा ज्ञानी स्वयं के लिए संकट पैदा करता है और दूसरों को भ्रमित और गुमराह करता है। व्यक्ति को जीवन पर्यंत विद्यार्थी बनकर ज्ञान प्राप्त करने के लिए लालच बना रहना चाहिए ज्ञान का कोई अंत नहीं है अनंत है।
संघ के अध्यक्ष प्रकाश खिंवेसरा बताया असीम पुण्योदय से ज्ञान की गंगा चलकर हमारे आंगन में आई है प्रमाद को छोड़कर ज्ञान गंगा में डुबकी लगानी है। मंत्री संजय पींचा ने मंच का संचालन करते हुए बताया आध्यात्मिक धार्मिक सामाजिक गतिविधियों में उत्साह पूर्वक भाग लेना है।
10 जुलाई को नवकार महामंत्र का जाप सुबह से शाम 6 बजे से तक जैन भवन में होगा। जैन संस्कार मंच, जैन संस्कार महिला शाखा, महिला मंडल सभी ने हर कार्य को पूरा करने का संकल्प लिया। हैदराबाद, औरंगाबाद, पुणे के गुरु भक्तों ने दर्शन सेवा का लाभ लिया।
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