बिहार में मतदाता सूची के 'एसआईआर' को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय ने क्या कहा?

चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू हुई

बिहार में मतदाता सूची के 'एसआईआर' को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय ने क्या कहा?

Photo: PixaBay

नई दिल्ली/दक्षिण भारत। उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की।

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न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की आंशिक कार्य दिवस वाली पीठ को चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने बताया कि याचिकाओं पर उनकी प्रारंभिक आपत्तियां हैं।

द्विवेदी के अलावा वरिष्ठ अधिवक्ता केके वेणुगोपाल और मनिंदर सिंह चुनाव आयोग का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि मतदाता सूची में संशोधन की अनुमति जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत दी जा सकती है।

उन्होंने कहा कि संपूर्ण एसआईआर में लगभग 7.9 करोड़ नागरिक शामिल होंगे। मतदाता पहचान पत्र और आधार कार्ड पर भी विचार नहीं किया जा रहा है।

उच्चतम न्यायालय में 10 से अधिक याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें प्रमुख याचिकाकर्ता गैर-सरकारी संगठन 'एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स' की याचिका भी शामिल है।

बता दें कि राजद सांसद मनोज झा और तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा, कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल, राकांपा (एसपी) नेता सुप्रिया सुले, भाकपा नेता डी राजा, समाजवादी पार्टी के हरिंदर सिंह मलिक, शिवसेना (यूबीटी) नेता अरविंद सावंत, झामुमो के सरफराज अहमद और भाकपा (माले) के दीपांकर भट्टाचार्य ने भी चुनाव आयोग के आदेश को रद्द करने के लिए निर्देश देने की मांग करते हुए शीर्ष न्यायालय का रुख किया है।

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