प्रकृति व इंजीनियरिंग का 'अद्भुत संगम' जम्मू-कश्मीर में खोलेगा संभावनाओं के नए द्वार

चिनाब पुल समुद्र तल से 359 मीटर ऊपर है

प्रकृति व इंजीनियरिंग का 'अद्भुत संगम' जम्मू-कश्मीर में खोलेगा संभावनाओं के नए द्वार

यूएसबीआरएल की अनुमानित लागत 37,000 करोड़ रुपए है

जया वर्मा सिन्हा

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सीआरबी और रेलवे बोर्ड की सीईओ

जब आप चिनाब नदी के नीले-हरे पानी पर बने विश्व के सबसे ऊंचे रेलवे पुल के डेक पर खड़े होते हैं तो तेज ठंडी हवाएं आपको झकझोरती हैं, जो घाटी से होकर गुजरती हैं और आपकी नसों में एड्रेनालाइन की तरह दौड़ती हैं।

ऊंची पर्वत चोटियों से घिरा चिनाब पुल समुद्र तल से 359 मीटर ऊपर है, जो एफिल टॉवर से 35 मीटर छोटा तथा कुतुब मीनार से पांच गुना बड़ा है! इसका शीर्ष बादलों में और पांव फुटबॉल के मैदान के आकार की नींव में मजबूती से जमे हुए हैं। इसे 266 किमी प्रति घंटे तक की हवा की गति को झेलने के लिए बनाया गया है।

अत्याधुनिक मॉनिटरों और रखरखाव मशीनरी से सुसज्जित, चिनाब पुल उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (यूएसबीआरएल) के माध्यम से कश्मीर तक सभी मौसमों में निर्बाध रेल संपर्क सुनिश्चित करेगा, जिसकी लंबाई 272 किमी है।

चूंकि देश कटरा और श्रीनगर के बीच नवीनतम वंदे भारत ट्रेन के पहले व्यावसायिक संचालन की प्रतीक्षा कर रहा है, यह यात्रा महज एक यात्रा से कहीं अधिक होने का वादा करती है। यह मार्ग विश्व के कुछ सर्वाधिक मनोरम एवं चुनौतीपूर्ण भौगोलिक क्षेत्रों से होकर गुजरता है।

अत्यधिक जटिल निर्माण परियोजना के रूप में पहचाने जाने वाले यूएसबीआरएल की अनुमानित लागत 37,000 करोड़ रुपए है, जिसमें पुलों और सुरंगों के ऊपर गिट्टी रहित पटरियां बिछाई जाएंगी, जो गहरी घाटियों से होकर तथा विशाल पर्वतों को भेदती हुई जाएंगी। इस मार्ग का 90 प्रतिशत से अधिक भाग 943 पुलों और 36 मुख्य सुरंगों से होकर गुजरता है, जिनमें भारत की सबसे लंबी रेलवे सुरंग टी-50 भी शामिल है, जो 12.7 किमी से अधिक लंबी है।

यूएसबीआरएल के कटरा-बनिहाल खंड पर अंजी खड्ड पुल स्थित है, जो देश का पहला केबल-स्टेड रेल पुल है। 96 केबलों के सहारे निर्मित 725 मीटर लंबा यह पुल समुद्र तल से 331 मीटर ऊपर है तथा डिजाइन और इंजीनियरिंग का शानदार नमूना है।

इंजीनियरिंग के चमत्कार के अलावा, यह रेल संपर्क क्षेत्र में पर्यटन, व्यापार और सभी मौसमों में कनेक्टिविटी को बढ़ावा देगा, जिससे जम्मू-कश्मीर के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य में संभावित रूप से बदलाव आएगा।

इस परियोजना में कई रेलवे स्टेशन शामिल हैं, जो जम्मू-कश्मीर की प्रगति, सुरक्षा और समृद्धि के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। 'कश्मीर का प्रवेश द्वार' कहे जाने वाला काजीगुंड दक्षिण कश्मीर और शेष क्षेत्र के बीच एक महत्त्वपूर्ण संपर्क का काम करता है। पंपोर, श्रीनगर, सोपोर और अनंतनाग जैसे स्टेशन घाटी की आर्थिक गतिविधि के केंद्र हैं और प्रमुख व्यापारिक केंद्रों के रूप में कार्य करते हैं। इसके अलावा रियासी और कटरा स्टेशनों का महत्त्व प्रसिद्ध माता वैष्णो देवी मंदिर के निकट होने के कारण है, जो उन्हें आध्यात्मिक और आर्थिक विकास दोनों के लिए खास बनाता है।

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अत्याधुनिक वंदे भारत एक्सप्रेस को क्षेत्र की चुनौतीपूर्ण शीतकालीन परिस्थितियों में परिचालन के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है, ताकि विश्वसनीयता, सुरक्षा और आराम सुनिश्चित किया जा सके। आधुनिक सुविधाओं के अलावा वंदे भारत का कश्मीर संस्करण विश्व स्तरीय यात्रा अनुभव प्रदान करने के लिए जलवायु-विशिष्ट अनुकूलन से सुसज्जित है। इसके उन्नत हीटिंग सिस्टम उप-शून्य तापमान में भी सहज ढंग से संचालित होंगे। चालक के सामने के लुकआउट ग्लास में डीफ़्रॉस्टिंग के लिए हीटिंग एलीमेंट्स भी लगाए गए हैं, जो सख्त सर्दियों की परिस्थितियों में भी स्पष्ट दृश्यता सुनिश्चित करते हैं।

कश्मीर घाटी के प्रहरी पीर पंजाल, बनिहाल सुरंग से गुजरते रेल के पहियों की आश्वस्त करने वाली लय की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जो उनके साथ जीवंत हो रही है, निर्बाध संपर्क का हमारा दीर्घकालिक सपना 'कश्मीर से कन्याकुमारी' तक, भारत हमेशा से एक रहा है। नवीनतम रेल संपर्क उस सदियों पुराने संबंध को और भी गहरा करता है, साथ ही कश्मीर तक सबके लिए पहुंच आसान बनाने का वादा भी करता है!

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