आधा-अधूरा समाधान

ब्रिटेन के मूल निवासी यह देखकर हैरान हैं कि सरकारों ने उनके देश की यह कैसी दुर्गति कर दी

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चरमपंथी प्रचारक ब्रिटिश समाज के सद्भाव को पलीता लगा रहे हैं

'आग लगने पर कुआं खोदना' क्या होता है, यह ब्रिटिश सरकार को देखकर समझा जा सकता है। अत्यधिक उदारवादी और बहुसांस्कृतिक समाज बनाने के चक्कर में उसने जिस तरह अपने सामाजिक तानेबाने को नष्ट-भ्रष्ट किया, उसका नतीजा इन दिनों देखने को मिल रहा है। उसने पाकिस्तान, अफगानिस्तान, इंडोनेशिया ... जैसे देशों से जिन चरमपंथी प्रचारकों के लिए अपने दरवाजे खोले थे, वे अब वहां खूब उपद्रव मचा रहे हैं। ब्रिटेन के मूल निवासी यह देखकर हैरान हैं कि सरकारों ने उनके देश की यह कैसी दुर्गति कर दी! अब एक मीडिया रिपोर्ट में यह कहा जाना कि 'सरकार द्वारा तैयार की जा रहीं नई योजनाओं के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और इंडोनेशिया जैसे देशों के चरमपंथी विचारों वाले, नफरत फैलाने वाले प्रचारकों को ब्रिटेन में प्रवेश करने से रोक दिया जाएगा', वास्तव में असल समस्या का आधा-अधूरा समाधान पेश करने जैसा है। ब्रिटेन को बहुत पहले सावधान हो जाना चाहिए था। उसने खासतौर से पाकिस्तान से आई एक बड़ी आबादी को नागरिकता देने में जिस तरह अति-उदारता दिखाई, वह उसे बहुत महंगी पड़ गई है। इससे वहां अपराध की दर बहुत ज्यादा बढ़ गई। सामाजिक सुरक्षा और अन्य सेवाओं पर दबाव बढ़ गया। कई इलाके तो ऐसे बन गए, जहां पुलिस भी जाने से कतराती है। सुएला ब्रेवरमैन को गृह मंत्री की कुर्सी इस वजह से गंवानी पड़ी थी, क्योंकि उन्होंने पाकिस्तानियों द्वारा ब्रिटेन में किए जा रहे गंभीर अपराधों का 'खुलासा' कर दिया था। आज वहां पाकिस्तानियों द्वारा ऐसे कई गिरोह चलाए जा रहे हैं, जो अंग्रेज लड़कियों को ड्रग्स की लत लगाकर उनसे दुष्कर्म करते हैं। लंदन, बर्मिंघम, लीसेस्टर समेत कई शहरों में ऐसे गिरोह काम कर रहे हैं, जिनमें पाक मूल के लोग बड़ी संख्या में शामिल हैं।

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वहीं, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, इंडोनेशिया, सीरिया, यमन, इराक, सोमालिया, लीबिया जैसे देशों के चरमपंथी प्रचारक ब्रिटिश समाज के सद्भाव को पलीता लगा रहे हैं। उनकी आग उगलतीं तकरीरें सुनकर ब्रिटेन के कई युवा कट्टरपंथ और आतंकवाद की राह पर चल पड़े हैं। वास्तव में यह समस्या सिर्फ ब्रिटेन की नहीं है। हाल में फ्रांस में ट्यूनीशियाई मूल का एक चरमपंथी प्रचारक सुर्खियों में रहा था, जिसने इस देश के राष्ट्रीय ध्वज को शैतानी झंडा बताया था। हालांकि उसके बाद फ्रांस सरकार ने सख्त रुख अपनाकर उस शख्स को निष्कासित करते हुए अपने देश रवाना कर दिया था। अब ब्रिटिश सरकार चरमपंथी गतिविधियों में 'चौंकाने वाली वृद्धि' से चिंतित है! उसकी ओर से अधिकारियों को विदेशों से सबसे खतरनाक चरमपंथियों की पहचान करने के लिए नियुक्त किया जा रहा है, ताकि उन्हें वीज़ा चेतावनी सूची में जोड़ा जा सके। नई योजनाओं के तहत, सूची में शामिल लोगों को स्वचालित रूप से ब्रिटेन में प्रवेश से मना कर दिया जाएगा। ब्रिटिश सरकार इस प्रक्रिया से कई लोगों को देश में प्रवेश करने से रोक सकती है, लेकिन उन लोगों के मामले में क्या करेगी, जो पहले ही प्रवेश पा चुके हैं और सरकारी सुविधाओं का जमकर लुत्फ उठा रहे हैं? उन्हें उनके देशों में भेजना आसान काम नहीं होगा। अगर ब्रिटेन को विदेशियों के लिए दरवाजे खोलने ही थे तो सिर्फ उन्हें आने की अनुमति देनी चाहिए थी, जो बहुसांस्कृतिक सामाजिक परिवेश से हैं और जिनका चरमपंथ से कोई लेना-देना नहीं है। क्या उसे मालूम नहीं था कि पाकिस्तान जैसे देशों के क्या हालात हैं? ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक लंदन में 10 डाउनिंग स्ट्रीट के मंच से एक भावपूर्ण भाषण में चेतावनी दे चुके हैं कि इस देश के लोकतांत्रिक और बहु-आस्था मूल्य चरमपंथियों द्वारा खतरे में हैं। अगर ब्रिटिश प्रधानमंत्री खतरा भांप गए हैं तो भाषण के अलावा धरातल पर भी कुछ करें। पाकिस्तान, जो चरमपंथ का गढ़ बना हुआ है, को मिलने वाली आर्थिक सहायता पर पाबंदी लगवाने की पहल करें।

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