मेक-इन-इंडिया कार्यक्रम से विनिर्माण आधारित उत्पादों का निर्यात बढ़ा: वैष्णव

अश्विनी वैष्णव ने वीडियो लिंक के माध्यम से बेंगलूरु और हुब्बली में मीडिया को संबोधित किया

मेक-इन-इंडिया कार्यक्रम से विनिर्माण आधारित उत्पादों का निर्यात बढ़ा: वैष्णव

'विनिर्माण आधारित वृद्धि ने रोजगार के अवसरों को बढ़ाया है'

नई दिल्ली/दक्षिण भारत। केंद्रीय रेल, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी तथा संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने गुरुवार को वीडियो लिंक के माध्यम से बेंगलूरु और हुब्बली में मीडिया को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने हाल के वर्षों में देश में विनिर्माण आधारित निर्यात की प्रमुख विशेषताओं और उपलब्धियों के बारे में बताया।

Dakshin Bharat at Google News
वैष्णव ने कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के कारण विनिर्माण-आधारित उत्पादों के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इससे देश में रोजगार के अवसर भी अच्छे-खासे बढ़े हैं।

वैष्णव ने संवाददाताओं से कहा कि पहले निर्यात आंकड़ों में सेवा क्षेत्र का दबदबा हुआ करता था, लेकिन अब फार्मास्युटिकल्स, मोबाइल फोन और विभिन्न वस्तुओं ने इसकी जगह ले ली है।

उन्होंने विनिर्मित वस्तुओं के निर्यात में वृद्धि का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मेक-इन-इंडिया' कार्यक्रम को दिया।

अर्थव्यवस्था में बदलाव

मंत्री ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 के निर्यात आंकड़ों के अनुसार, कुल 762 अरब डॉलर के निर्यात में 453 अरब डॉलर विनिर्मित वस्तुओं का रहा। वहीं, सेवा क्षेत्र का योगदान 309 अरब डॉलर रहा।

वैष्णव ने कहा, ‘यह देश की अर्थव्यवस्था में बदलाव को दर्शाता है। विनिर्माण आधारित निर्यात आम आदमी के जीवन पर असर डालता है। अगर हम जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों की अर्थव्यवस्था का अध्ययन करें, तो पाएंगे कि उन सभी ने अपनी आर्थिक यात्रा के दौरान निम्न-आय से मध्यम-आय और फिर उच्च-आय की ओर बढ़ते हुए विनिर्माण पर ध्यान केंद्रित किया।’

उन्होंने आगे कहा, 'अगर हम साल 1800 के आसपास या साल 1900 की शुरुआत में अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन आदि देशों की विकास अवधि का अध्ययन करते हैं, तो हम पाते हैं कि उन्होंने भी कम आय से मध्यम और उच्च आय की ओर बढ़ने के लिए विनिर्माण पर ध्यान केंद्रित किया।’

उन्होंने कहा कि जो देश विकास के दौर से गुजरे हैं, उन सभी ने विनिर्माण को महत्त्व दिया है। यह काम प्रधानमंत्री ने 'मेक-इन-इंडिया' के जरिए किया है।

क्या कहते हैं आंकड़े?

वैष्णव के अनुसार, विनिर्माण आधारित वृद्धि ने रोजगार के अवसरों को बढ़ाया है। यह संगठित क्षेत्र में बढ़ीं नौकरियों या भविष्य निधि में पंजीकरण के आंकड़ों से स्पष्ट है। यह छह लाख मासिक या लगभग 70 लाख सालाना से बढ़कर 14 से 15 लाख मासिक या लगभग 1.8 करोड़ सालाना हो गया है।

उन्होंने कहा, ‘यह अर्थव्यवस्था में एक बड़े बदलाव को बताता है। हर साल दो करोड़ नौकरियों का जो लक्ष्य प्रधानमंत्री ने रखा था, वह अब हासिल होने वाला है और इस उपलब्धि के पीछे विनिर्माण महत्त्वपूर्ण है।’

About The Author

Dakshin Bharat Android App Download
Dakshin Bharat iOS App Download