आरएसएस मार्च: तमिलनाडु सरकार की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा उच्चतम न्यायालय

संगठन को छह जिलों में स्टेडियम जैसे बंद स्थानों पर अपना कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति दी गई थी

आरएसएस मार्च: तमिलनाडु सरकार की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा उच्चतम न्यायालय

राज्य ने पीएफआई की मौजूदगी और कानून-व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए 6 जिलों में सड़कों पर मार्च करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था

नई दिल्ली/भाषा। उच्चतम न्यायालय तमिलनाडु सरकार की उस याचिका पर तीन मार्च को सुनवाई करने के लिए बुधवार को सहमत हो गया जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को राज्य में मार्च निकालने की अनुमति देने के मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई है।

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प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की एक पीठ ने राज्य सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी की ओर से पेश किए गए प्रतिवेदन पर गौर किया, जिसमें कहा गया था कि मामले पर तत्काल सुनवाई की जरूरत है, क्योंकि ‘मार्च’ पांच मार्च से ही शुरू हो रहा है।

वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, ‘मैं इस पर शुक्रवार को सुनवाई करने का अनुरोध कर रहा हूं।’

पीठ ने कहा, ‘हम शुक्रवार को इस पर सुनवाई करेंगे।’

रोहतगी ने कहा कि राज्य ने पीएफआई (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) की मौजूदगी और कानून-व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए छह जिलों में सड़कों पर मार्च करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था।

उन्होंने कहा कि संगठन को छह जिलों में स्टेडियम जैसे बंद स्थानों पर अपना कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति दी गई थी, लेकिन सड़कों पर मार्च की अनुमति नहीं दी गई।

उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय की एकल न्यायाधीश पीठ राज्य के फैसले से सहमत थी। हालांकि, उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने 10 फरवरी को आरएसएस को पुनर्निर्धारित तारीखों पर तमिलनाडु में अपना मार्च निकालने की अनुमति दी और कहा कि विरोध प्रदर्शन मजबूत लोकतंत्र के लिए जरूरी है।

उन्होंने कहा कि आरएसएस का प्रस्तावित ‘मार्च’ रविवार को पांच मार्च से शुरू हो रहा है, इसलिए उससे पहले इस पर सुनवाई किए जाने की आवश्यकता है।

इससे पहले राज्य सरकार ने आरएसएस को पुनर्निर्धारित तारीखों पर अपना मार्च निकालने की अनुमति देने के खिलाफ भी शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी।

मद्रास उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को तमिलनाडु में फिर से निर्धारित तिथि पर अपना मार्च निकालने की 10 फरवरी को अनुमति देते हुए कहा था कि विरोध प्रदर्शन मजबूत लोकतंत्र के लिए जरूरी है।

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