हमें दोषों से मुक्त कर गुणवान बनाते हैं गुरु: आचार्यश्री विमलसागरसूरीश्वर

'अनेक दार्शनिक गुरु हुए, जिनके वचनों पर चलकर संसार ने अच्छाइयां सीखीं'

हमें दोषों से मुक्त कर गुणवान बनाते हैं गुरु: आचार्यश्री विमलसागरसूरीश्वर

संसार में गुरु ही श्रद्धालुओं को भगवान और धर्म का परिचय करवाते हैं

गदग/दक्षिण भारत। शहर के राजस्थान जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघ के तत्वावधान में शुक्रवार को जीरावला पार्श्वनाथ सभागृह में उपस्थितजनों को संबोधित करते हुए आचार्यश्री विमलसागरसूरीश्वरजी ने कहा कि पूरब हो या पश्चिम, हर क्षेत्र में समय-समय पर धार्मिक, आध्यात्मिक और नैतिक जागरण के लिए अनेक दार्शनिक गुरु हुए, जिनके वचनों पर चलकर संसार ने अच्छाइयां सीखीं। 

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सुकरात, लाओत्से, एरिस्टोटल, कंफ्यूसिस, रामतीर्थ, रामकृष्ण परमहंस, कबीर, रहीम, सूफी संत, महर्षि अरविंद, तुकाराम, ज्ञानेश्वर, दलाई लामा, दयानंद सरस्वती, नानक, शंकराचार्य, जैनाचार्य, जैसे गुरुतत्व के हजारों पवित्र व्यक्तित्व हैं, जिनसे संसार को सही राह मिली और मानवता रोशन हुई। 

आचार्य विमलसागरसूरीश्वरजी ने कहा कि आध्यत्मिक उन्नति के लिए संसार में तीन तत्व हैं भगवान, गुरु और धर्म। इसमें गुरुतत्व सबसे महत्वपूर्ण है। भगवान कितने ही शक्तिशाली और विशिष्ट हों, उन्हें भी अपने प्रारंभिक काल में आध्यात्मिक विकास के लिए सद्गुरु की आवश्यकता रहती हैं। 

संसार में गुरु ही श्रद्धालुओं को भगवान और धर्म का परिचय करवाते हैं। हर काल, हर क्षेत्र और हर धर्म-मान्यता में गुरुतत्व की महिमा रही है। गुरु प्रेरणादायक, मार्गदर्शक, प्रकाशपुंज हैं। गुरु जीवन के भव्य निर्माता, कुंभकार हैं। गुरु जीवननैया के कुशल खेवनहार हैं। हर मनुष्य के जीवन में एक सद्गुरु होने चाहिए। 

जैसे कानूनी उलझनों से बचने के लिए कुशल एडवोकेट चाहिए, शरीर के रोगों को मिटाने के लिए पारंगत डॉक्टर चाहिए, वैसे ही मन के रोगों को दूर करने, भवरोग को मिटाने के लिए एक आध्यत्मिक सद्गुरु की आवश्यकता होती है। गणि पद्मविमलसागरजी ने कहा कि जैन परंपरा में अनेक प्रकार की तप साधनाएं प्रचलित हैं। 

यहां गदग में शनिवार से सोलह दिवसीय कषाय जय तप की साधना प्रारंभ हो रही है। व्यवहार हो या आध्यात्म सबके लिए बाधक हैं क्रोध, अभिमान, माया और लोभ। इनको जैन पारिभाषिक शब्दावली में कषाय कहा जाता है। इन चारों दोषों दुर्गुणों को नियंत्रित व निर्मूल करने के लिए यह तपस्या करवाई जा रही हैं। 

जैन संघ के अध्यक्ष पंकज बाफना ने बताया कि गदग में तीन सौ से अधिक साधक विभिन्न साधनाओं से जुड़े हुए हैं।

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