तेरापंथ समर्पण, सेवा, समन्वय का साकार रूप: मुनि मोहजीतकुमार

तेरापंथ धर्मसंघ समर्पण, सेवा, वैचारिक उदारता और समन्वयशीलता का साकार रूप है

तेरापंथ समर्पण, सेवा, समन्वय का साकार रूप: मुनि मोहजीतकुमार

मुनि जयेशकुमार ने कहा कि आचार्य भिक्षु बॉस नहीं, एक लीडर थे

चेन्नई/दक्षिण भारत। यहां जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, किलपॉक के तत्वावधान में '266वं तेरापंथ स्थापना दिवस’ भिक्षु निलयम के महाश्रमणम् हॉल में मुनि मोहजीतकुमार ठाणा 3 के सान्निध्य में विशाल उपस्थिति में मनाया गया। 

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मुनि मोहजीतकुमार ने कहा कि आचार्य भिक्षु ने त्रिपदी क्रांति की, जिसमें आचार, विचार अनुशासन के आधार पर इस धर्मसंघ को प्रस्थापित किया। उन्होंने कहा शुद्ध साधन से ही शुद्ध साध्य की प्रप्ति होती है। 

तेरापंथ धर्मसंघ समर्पण, सेवा, वैचारिक उदारता और समन्वयशीलता का साकार रूप है। यह संघ एक आचार्य के नेतृत्व में संचालित है। इस धर्मसंघ की गौरवशाली परम्परा में गुरु निष्ठा, आचार निष्ठा, मर्यादा निष्ठा, अनुशासन निष्ठा का सर्वोच्च स्थान है।

मुनि जयेशकुमार ने कहा कि आचार्य भिक्षु बॉस नहीं, एक लीडर थे। वे सिर्फ आदेश नही देते थे, स्वयं आदर्श स्थापित करते थे। वे आत्म जागरण, आत्म नियमन, प्रेरणा, सहानुभूति और नेतृत्व कौशल जैसे गुणों से सम्पन्न थे। उनकी मर्यादित अनुशासन शैली से ही इस धर्मसंघ में श्रद्धा, विनय और वात्सल्य की त्रिवेणी प्रवाहमान है।

तेरापंथ स्थापना दिवस का दिन गुरु पूर्णिमा के साथ भी जुड़ा हुआ है। इस संदर्भ में गुरु की महत्ता को मुनि भव्यकुमार ने प्रकट किया। इस अवसर पर आगामी रविवार को अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद् के तत्वाधान में स्थानीय युवक परिषद् द्वारा समायोजित 'मंत्र दीक्षा’ समारोह के बेनर का लोकार्पण किया गया। विराट संख्या में श्रावक समाज ने तेले आदि तपस्याओं का प्रत्याख्यान किया।

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