गुरु के बिना जीवन शुरू ही नहीं हो सकता: आचार्यश्री प्रभाकरसूरी

चिंतामणि पार्श्वनाथ जैन मंदिर में गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया गया

गुरु के बिना जीवन शुरू ही नहीं हो सकता: आचार्यश्री प्रभाकरसूरी

'विनय से लघुता, लघुता से प्रभुता और प्रभुता से परमात्मा की प्राप्ति संभव है'

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। शहर के महालक्ष्मी लेआउट स्थित चिंतामणि पार्श्वनाथ जैन मंदिर में चातुर्मासार्थ विराजित आचार्यश्री प्रभाकरसूरीश्वरजी, महापद्मविजयजी, पद्मविजयजी व दक्षप्रभाकरजी की निश्रा में गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया गया।

Dakshin Bharat at Google News
आचार्यश्री प्रभाकरसूरीश्वरजी ने कहा कि संसार मे लाने का काम माता-पिता करते हैं लेकिन संसार से तारने का कार्य गुरु द्वारा किया जाता है। संसार को समझाने का कार्य गुरु करते हैं इसलिए जीवन में गुरु का होना भी बहुत ही जरूरी है क्योंकि गुरु के बिना जीवन शुरू ही नहीं हो सकता है। 

जैन शास्त्रों में गुरु के पांच प्रकार बताए गए हैं, क्रमश: प्रेरक गुरु, सूचक गुरु, बोधक गुरु, पाठक गुरु, और सहायक गुरु। प्रेरक गुरु हमें प्रेरणा देते हैं, इसलिए अरिहंत हमारे प्रेरक गुरु हैं।

सूचक गुरु सिद्ध भगवंत होते हैं जो कि हमें मोक्ष मार्ग की सूचना देते हैं। बोधक गुरु हमारे आचार्य भगवंत होते हैं जो हमें धर्म के मार्ग का बोध देते हैं। पाठक गुरु हमारे उपाध्याय भगवंत होते हैं जो कि हमें स्वाध्याय के माध्यम से पढ़ाते हैं और सहायक गुरु हमारे साधु-साध्वी भगवंत होते हैं जो भटके हुए जीवों को धर्म से जोड़कर सही मार्ग ओर जीवन जीने की दिशा का ज्ञान कराते हैं। 

आचार्यश्री ने बताया कि गौतमस्वामी में विनय गुण था, इसलिए वो गुरु गौतम कहलाए। विनय जीवन का आचार व सार है। जो झुकता है वह पाता है, जो अकड़ता है वह मुर्दें के समान खाली हाथ रहता है। विनय से लघुता, लघुता से प्रभुता और प्रभुता से परमात्मा की प्राप्ति संभव है।

इस मौके पर विभिन्न दादा गुरुदेव की तस्वीरों पर माला चढ़ाने व वासक्षेप पूजा करने का लाभ संगीताबेन मिलनभाई सेठ परिवार, आचार्यश्री प्रभाकरसूरीजी का अक्षत से वधामणा करने का लाभ कंचनदेवी प्रेमचंद बम्बोरी परिवार ने लिया।

About The Author

Dakshin Bharat Android App Download
Dakshin Bharat iOS App Download