स्वभाव व व्यवहार से ही होती है व्यक्ति की पहचान: संतश्री आर्यशेखरविजय

'दान भी हमेशा सुपात्र को करना चाहिए'

स्वभाव व व्यवहार से ही होती है व्यक्ति की पहचान: संतश्री आर्यशेखरविजय

'सफलता प्राप्ति के लिए लगातार अभ्यास करते रहना पड़ता है'

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। शहर के चिकपेट स्थित आदिनाथ जैन मंदिर प्रांगण में चातुर्मासार्थ विराजित संतश्री आर्यशेखरविजयजी ने शुक्रवार को अपने प्रवचन में कहा कि ज्ञान बिना जीवन व्यर्थ है। प्रवचन सुनने से ज्ञान में वृद्धि होती है। हमारे पास गाड़ी, बंगला कितना बड़ा है उससे कोई फर्क नहीं पड़ता अपितु हमारे स्वभाव से ही हमारी पहचान होती है। 

Dakshin Bharat at Google News
किसी कार्य करने से पाप हो तो ऐसा कार्य नहीं, जिस खाने से बीमारी हो तो उसे खाना नहीं, खर्च करने से कर्जा बढ़े तो खर्च करना नहीं और कुछ बोलने से लड़ाई हो तो ऐसा बोलना नहीं चाहिए। 

स्वभाव के बारे में बताते हुए संतश्री ने कहा कि गाय को सूखी घास भी खिलाएंगे तो वह दूध ही देगी क्योंकि उसका स्वभाव परोपकारी है जबकि सांप को दूध भी पिलाएंगे तो बदले में वह जहर ही देगा क्योंकि वह उसका स्वभाव है। दान भी हमेशा सुपात्र को करना चाहिए। 

उन्होंने कहा कि जिस प्रकार एक डुबकी लगाने से मोती नहीं मिलता, एक लड़ाई से सेनापति नहीं बनता, उसी प्रकार हमें सफलता एक बार में नहीं मिलती, सफलता प्राप्ति के लिए लगातार अभ्यास करते रहना पड़ता है। जीवन में ज्ञान होना जरूरी है।

About The Author

Dakshin Bharat Android App Download
Dakshin Bharat iOS App Download

Latest News

दपरे: गति वृद्धि कार्यक्रम से माल ढुलाई और यात्री परिवहन में हो रहा फायदा दपरे: गति वृद्धि कार्यक्रम से माल ढुलाई और यात्री परिवहन में हो रहा फायदा
Photo: S.W.Railways FB Page
पहलगाम हमले के मास्टरमाइंड हाशिम मूसा को सुरक्षा बलों ने किया ढेर
कांग्रेस और चिदंबरम वही भाषा बोल रहे हैं, जो पाकिस्तान बोलता है: शिवराज सिंह चौहान
जम्मू-कश्मीर: सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़, 3 आतंकवादी ढेर
भारत को किसी भी क्षेत्र में पाकिस्तान के साथ बातचीत नहीं करनी चाहिए: अभिषेक बनर्जी
वियतनामी सैनिकों के शौर्य की गाथा और युद्ध की भयावहता की कहानी कहता हो ची मिन्ह स्थित युद्ध अवशेष संग्रहालय
बिहार का एक गैंगस्टर उप्र पुलिस के साथ मुठभेड़ में ढेर