अपने कैरियर के लिए बड़े शहरों में आने वाले युवकों को जाल में फांसते हैं कथित समाजसेवी

अपने कैरियर के लिए बड़े शहरों में आने वाले युवकों को जाल में फांसते हैं कथित समाजसेवी

मदद करने के सपने दिखाकर किसी की मेहनत का पैसा हड़पने वाले सबसे बड़े दुष्ट


.. श्रीकांत पाराशर .. 
दक्षिण भारत राष्ट्रमत

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बेंगलूरु। कस्बों और छोटे शहरों से बड़े शहरों में अच्छी कमाई की आस लेकर युवा उद्यमी बड़े उत्साह से आते हैं। हर समुदाय में   अपने बेहतर भविष्य के लिए युवाओं का इस तरह बड़े शहरों की तरफ आना सामान्य सी बात है परंतु इन शहरों में कुछ घाघ कथित समाजसेवी ऐसे ही युवा उद्यमियों का इंतजार करते रहते हैं। ये सो-काल्ड समाजसेवी इक्का-दुक्का हर समाज में पाये जाते हैं जो नए आगंतुकों पर डोरे डालते हैं कि शहर में उनकी बड़ी पहचान है, वे चाहें तो किसी को भी अपने परिचय की बदौलत जमीन से आसमान में पहुंचा सकते हैं। ये कुछ चेले चपाटी भी रखते हैं जो इनकी महानता का गुणगान करते रहते हैं ताकि शिकार आसानी से फंसे। ये अपने ही समाज के उभरते उद्यमियों को अपना शिकार बनाते हैं। उनसे अपना निजी काम करवा लेते हैं तथा पैसा नहीं देते। दूसरे की मेहनत का पैसा हड़पने में इन्हें कोई शर्मिंदगी महसूस नहीं होती। यह राशि हजारों से लेकर लाखों में होती है और ये अपनी नीयत खराब कर लेते हैं। पैसा हड़प जाते हैं। इतना ही नहीं, ये उल्टा शिकार पर ही तरह तरह के आरोप लगा देते हैं।

बेंगलूरु में भी यह कारनामे होते रहते हैं। किसी की भी मेहनत का पैसा अपनी खराब नीयत के चलते हड़प लेना नैतिकता के बिल्कुल विपरीत है परंतु अगर ऐसी नैतिकता को ताक पर रखने से यों ही कुछ लाख की कमाई हो जाए तो भाड़ में जाए ऐसी नैतिकता। यह सोच आजकल प्रबल होती जा रही है। ब्राह्मण समाज के युवा भी आजकल व्यवसाय और उद्योग क्षेत्र में तेजी से आगे आ रहे हैं परंतु इस समाज में भी इनका शोषण करने वाले पहले से बड़े शहरों में घात लगाए बैठे हैं,और समाजसेवी होने का चोगा पहने हैं। 

इस सच्चाई से वाकिफ न होने से युवा उद्यमी जल्दी जाल में फंसते हैं। उधर, कथित समाजसेवी महाशय सामाजिक संगठनों में बड़ी दिलचस्पी लेते हैं और चौधराहट भी करते हैं ताकि लगे कि स्थानीय समाज में यही सर्वेसर्वा हैं। कार्यक्रम करवाते हैं, उनमें सक्रिय रहते हैं। जो व्यक्ति इनका शिकार हो चुका होता है वह डर के मारे इनकी करतूत किसी को बताने की हिम्मत नहीं करता। इसी कारण से एक के बाद एक नए शिकार करने में इन्हें खास दिक्कत नहीं आती।

बेंगलूरु में कंस्ट्रक्शन लाइन में मेहनत कर रहा एक विप्र युवा भी अपने ही समाज के ऐसे एक-आध समाजसेवियों का शिकार हो चुका है। वह सहज सरल रूप से अपना फंसा पैसा निकालना चाहता है जबकि उसके पास बहुत सारे ऐसे प्रमाण हैं कि पैसा हड़पने वाले उसके पास खुद सैटलमेंट के लिए आ जाएं। उसके पास कन्वर्जेशन के वाट्सएप मैसेज हैं, अनेक कागज हैं, ईमेल हैं, फोन पर हुई बातचीत के अनेक आडियो हैं जिसमें वह व्यक्ति स्वीकार कर रहा है कि वह जल्द ही बकाया पैसा दे देगा। लेकिन नीयत देने की न हो तो पैसा हाथ से छूटता नहीं। 

दरअसल कन्स्ट्रक्शन लाइन में तो कंट्रक्टर चाहे तो अंगुली थोड़ी सी टेढी कर कभी भी पैसे निकाल सकता है क्योंकि जो मकान उसने (कंट्रक्टर) बनाया होता है, उसकी पूरी जानकारी उसे होती है। यहां तक कि नगरपालिका के नियमों का उल्लंघन और पैसा देकर गैरकानूनी ढंग से बिजली कनेक्शन लेने की हर असलियत वह जानता है। संबंधित विभाग में ढंग से उस सो-काल्ड समाजसेवी की शिकायत कर दे तो उस महाशय के होश ठिकाने आ सकते हैं। जितना रुपया उसने कंट्रक्टर की मेहनत का दबाया है उससे दुगुने तो मामले को दबाने में लग जाते हैं। डिपार्टमेंट का व्यक्ति रिश्वत के चलते यदि फाइल को दबाने की कोशिश भी करे तो विभाग के उच्च अधिकारियों तक मामला पहुंचाया जा सकता है। वहां भी सुनवाई न हो तो मीडिया की मदद ली जा सकती है। ऐसे हालात में, जिस कर्मचारी ने पैसा लेकर गैरकानूनी काम किया हुआ होता है, उसकी नौकरी भी जा सकती है। इसके साथ ही और इलाज भी हैं।

ऐसे समाजसेवी अपने मूल गांव में  खूब डींगें हांककर बड़े आदमी बने होते हैं। इनकी करतूत सिलसिलेवार लिखकर कुछ प्रमाणों के साथ सोशल मीडिया यानी, फेसबुक, वाट्सएप ग्रुप आदि में डालकर पोस्ट कर संबंधित गांव, समाज और उसके हर रिश्तेदार तक पहुंचा देनी चाहिए। इससे उसको कितना असर पड़ेगा, यह समय आने पर उसे अवश्य पता चल जाएगा। आज के समय में ज्यादा भलमनसाहत मनुष्य की कमजोरी मान ली जाती है और शिकारी नए नए शिकार करता रहता है। किसी की मेहनत का पैसा दबाने वाले की पूरी कुंडली जब तक उसके व्यवसाय से जुड़े लोगों तक, स्थानीय समाज तक, मूल गांव शहर तक, उसके रिश्तेदारों तक नहीं पहुंचेगी तब तक नए उभरते युवा इन कथित समाजसेवियों के जाल में फंसते रहेंगे। जहां जहां भी जो युवा ऐसे समाजसेवियों से पीड़ित हैं उनको हौसले से काम लेना चाहिए।

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