आतंकवाद की फैक्ट्री

भारत तमाम परेशानियों, समस्याओं के बावजूद अंतरिक्ष में कामयाबी का डंका बजा रहा है, जबकि पाक अब तक कश्मीर हड़पने के लिए आतंकवादी तैयार कर रहा है
पड़ोसी देश पाकिस्तान ने हठ पकड़ रखा है कि वह तबाह हो जाएगा, लेकिन अपनी प्रवृत्ति में सुधार नहीं करेगा। इस समय वह कंगाल होने के कगार पर पहुंच चुका है। दुनिया टकटकी लगाए देख रही है कि वहां कब श्रीलंका जैसे हालात होंगे। इस समय उसे आत्मचिंतन करना चाहिए कि अस्तित्व में आए साढ़े सात दशक हो चुके हैं, फिर भी उसकी यह दुर्दशा क्यों है?
भारत तमाम परेशानियों, समस्याओं के बावजूद अंतरिक्ष में कामयाबी का डंका बजा रहा है, जबकि पाक अब तक कश्मीर हड़पने के लिए आतंकवादी तैयार कर रहा है। रक्षाबंधन के दिन उसने दोबारा उरी जैसे हमले को दोहराने का कुकृत्य किया, लेकिन हमारे वीर जवानों ने बलिदान देकर उसे विफल कर दिया। जम्मू के परगल में चार जवानों ने पलक झपकते ही अपने प्राण भारत माता के चरणों में अर्पित कर दिए। पूरा राष्ट्र उनका सदैव ऋणी रहेगा, लेकिन अहम सवाल यह भी है कि आखिर हम कब तक शहीदों के शव उठाते रहेंगे?अब समय आ गया है कि पाकिस्तान को उसकी हरकतों के लिए कठोर दंड दिया जाए। सिर्फ आतंकवादियों के खात्मे से काम नहीं चलने वाला। आतंकवादी तो रोज मारे ही जा रहे हैं। जब तक पाकिस्तानी फौज का जबरदस्त नुकसान नहीं होगा, वह सुधरने का नाम नहीं लेगी। कई युद्धों में शिकस्त खा चुका पाक भलीभांति जानता है कि वह आमने-सामने की लड़ाई में कहीं नहीं टिकता, इसलिए भाड़े के आतंकवादी भेज रहा है।
भारतीय सुरक्षा बल रोज उनका संहार कर रहे हैं। इससे पाकिस्तान को खास नुकसान नहीं हो रहा है। चूंकि आतंकवादियों का पहले ही ब्रेनवॉश कर दिया जाता है। उन्हें हसीन सपने दिखाकर मरने के लिए इधर भेजा जाता है। उन्हें न कोई तनख्वाह देनी होती है और न पेंशन का खर्चा है। इसलिए यह उसके लिए मुनाफे का सौदा है।
भारत को चाहिए कि आतंकवादियों के खिलाफ सख्त रुख तो इसी तरह बरकरार रखे, साथ ही पाकिस्तान की फौज पर चोट करे। पाकिस्तानी आतंकवादी मारे जाते हैं तो वे यहां किसी गुमनाम कब्र में दफना दिए जाते हैं। जब तक पाकिस्तानी फौजियों के ताबूत उनके गांवों में नहीं जाएंगे, इस पड़ोसी मुल्क के हुक्मरान अपनी नीति नहीं बदलेंगे।
यह संतोष का विषय है कि पिछले पांच सालों में करीब एक हजार आतंकवादी मारे गए हैं, लेकिन जवान भी बड़ी संख्या में शहीद हो रहे हैं। अगर एक जवान भी शहीद होता है तो यह देश के लिए बड़ी क्षति है। आए दिन आतंकवादियों के मारे जाने के बावजूद उनकी घुसपैठ बंद नहीं हो रही है और न आतंकवादी घटनाओं पर लगाम लग रही है।
निस्संदेह सुरक्षा बलों का खुफिया नेटवर्क मजबूत हुआ, इसीलिए धड़ाधड़ आतंकवादी मारे जा रहे हैं, लेकिन इससे आतंकवाद समूल नष्ट नहीं हो रहा है। जब तक आतंकवाद की फैक्ट्री चलती रहेगी, आतंकवादियों का उत्पादन होता रहेगा और वे खून बहाते रहेंगे। यूं भी पाकिस्तान की नीति है भारत को लहूलुहान करने की, जिसके बदले भारत को उससे ज्यादा आक्रामक नीति अपनानी होगी। आतंकवाद की फैक्ट्री तबाह करनी होगी, जो पाकिस्तानी फौज की सरपरस्ती में चल रही है।
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