चीन-अमेरिका में तनाव

चीन-अमेरिका में तनाव

कूटनीतिक शब्दकोष से छांटकर निकाले गए तमाम छिपने-छिपाने वाले शब्दों के पेच के बावजूद निश्चित तौर पर चीन और अमेरिका के संबंध बेहतरीन नहीं कहे जा सकते हैं। इन दोनों देशों के बीच तनाव ब़ढ रहा है। मुद्दा दक्षिण चीन सागर में अमेरिकी नौसेना की मौजूदगी है। बीते हफ्ते अमेरिकी नौसैनिक पोत यूएसएस होपर वहां स्थित हुआंगयान द्वीप के १२ नॉटिकल मील अंदर तक पहुंच गया था। इस द्वीप को स्कारबॉरो शोल भी कहते हैं्। इस द्वीप पर चीन और फिलीपींस दोनों अपना-अपना दावा ठोकते रहे हैं। चीन मानता है कि बिना उसकी इजाजत के यहां किसी विदेशी यान को नहीं आना चाहिए्। अमेरिकी पोत के वहां आने पर चीन भ़डक उठा। वहां के सरकारी अखबार पीपुल्स डेली ने आरोप लगाया कि जब दक्षिण चीन सागर में स्थिति सुधर रही है, तो अब वहां अमेरिका दखल दे रहा है। आरोप लगाया गया कि अमेरिका इस क्षेत्र का सैन्यीकरण करना चाहता है। चीन ने चेतावनी दी है कि शांति और सहयोग के माहौल के बीच अमेरिकी जहाज का दखल बेवजह परेशानी और दिक्कतें ख़डी कर सकता है। चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया कि चीन इस अमेरिकी कदम से बेहद अंसतुष्ट है और वह अपनी रक्षा के लिए कदम उठाएगा। अगर अमेरिका इस क्षेत्र में तनाव ब़ढाने की कोशिश करता है, तो चीन भी इस मामले में तुरंत कार्रवाई करेगा। चीन में सरकार की राय अक्सर वहां के सरकारी मीडिया के जरिए जताई जाती है। इस सिलसिले में वहां के अखबार ग्लोबल टाइम्स का संपादकीय महत्त्वपूर्ण है। इसमें लिखा गया है कि दक्षिण चीन सागर में चीन का प्रभुत्व ब़ढ रहा है, साथ ही चीन की सेना का आकार और इसकी गुणवत्ता में लगातार ब़ढोतरी हो रही है। चीन वहां अधिक नौसैनिक जहाजों को भेजने में सक्षम है और वह रक्षात्मक तौर पर द्वीपों के सैन्यकरण जैसे कदम उठा सकता है। जाहिर है, ये चेतावनी की भाषा है। स्कारबॉरो शोअल फिलीपींस के २०० नॉटिकल मील के भीतर आने वाला विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) है। २०१६ में दिए अपने फैसले में एक अंतरराष्ट्रीय न्यायिक पंचाट ने कहा था कि यह एक पारंपरिक मछली क्षेत्र है, जिसे इस्तेमाल करने का हक किसी एक देश के पास नहीं है। इसी का हवाला देते हुए अमेरिकी सेना ने कहा है कि उसके पास दुनिया भर में नौवहन की स्वतंत्रता है। हालांकि पेंटागन ने इस मामले में सीधा कोई बयान नहीं दिया है, लेकिन ये जरूर कहा है कि ये ऑपरेशन एक नियमित प्रक्रिया है। जाहिर है, दोनों पक्ष अपनी जगह पर अ़डे हुए हैं्। इससे तनाव ब़ढना लाजिमी है। वहीं अमेरिकी सेना ने कहा है कि उसके पास दुनिया भर में नेवीगेशन की स्वतंत्रता (फ्रीडम ऑफ नेवीगेशन) है। साथ ही उन क्षेत्रो में भी जहां उसके सहयोगी दावा करते हैं और जो राजनीतिक चीजों से अलग है।

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