पाक को सबक सिखायें

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आतंकवादियों ने फिर एक बार सेना की छावनी को निशाना बनाया है। इस बार हमला सैनिकों के परिजनों को निशाना बनाया गया है। सुंजवान स्थित आर्मी कैंप में शनिवार सुबह से जारी मुठभे़ड में अभी तक पांच सैनिक और एक आम नागरिक मारे जा चुके हैं। आतंकियों ने कैंप के उस हिस्से को निशाना बनाया जहाँ सैनिक अपने परिवारों के साथ रह रहे थे। हमलावरों ने हमले के लिए आतंकी अ़फ़जल गुरु को दी गयी सजा की तारीख को ही चुना। जैश-ए-मुहम्मद के इन आतंकियों ने ब़डी ही बेहरमी से महिलाओं और बच्चों पर भी वार किया जिनमें से कइयों की हालत गंभीर बताई जा रही है। वर्ष २००३ में भी इस कैंप पर आतंकी हमला हो चुका है और उस वक्त बारह सैनिक शहीद हुए थे। पिछले कुछ अरसे से आतंकवादियों ने भारतीय सेना तथा अर्द्धसैनिक बलों के अनेक ठिकानों, वाहनों और छावनियों को निशाना बनाने की रणनीति अपनाई हुई है। घाटी में कई बार सीआरपीएफ के ठिकाने और अर्द्धसैनिक बलों के दस्ते तथा सेना के कारवां को निशाना बनाया जा चुका है। वर्ष २०१६ के जनवरी महीने में पंजाब के पठानकोट में वायुसेना के अड्डे पर हुए हमले को भी इस श्रेणी में रखा जा सकता है। उधर, पुलिसकर्मी भी दहशतगर्दों के निशाने पर आए हैं। इसके अलावा कश्मीर घाटी और पुंछ इलाके में सुरक्षा बलों और दहशतगर्दों के बीच कई और मुठभे़डें हुईं। पिछले कुछ दिनों से देश के गृह मंत्री राजनाथ सिंह भी पाकिस्तान को उसकी बेहूदा हरकतों के लिए खरी खोटी सुना चुके हैं। सिंह ने यह भी सा़फ कर दिया है कि पाकिस्तान द्वारा आतंकियों को दिए जा रहे समर्थन के खिलाफ सरकार क़डी कारवाई करेगी। इन तमाम तथ्यों को एक सिलसिले में रखकर देखें तो संकेत उभरता है कि पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में अस्थिरता फैलाने की हरकतें खासी तेज कर रखी हैं। पाकिस्तान सरहद पर भी रुक रुक कर युद्ध विराम का उलंघन करता ऩजर आया है। स्थिति काफी गंभीर हो चुकी है और सेना के अला अधिकारी सहित गृह मंत्री राजनाथ सिंह खुद इस घटना पर अपनी ऩजर बनाये हुए हैं। भारत ने कई बार अंतराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान से आतंकी गतिविधियों पर अंकुश लगाने को कहा है। मगर पाकिस्तान पर इसका कोई असर नहीं हुआ। पाकिस्तान को आतंकवाद से दूरी बनाने के लिए अमेरिका ने भी चेताया है परंतु पकिस्तान अपने मंसूबों से बा़ज नहीं आ रहा है। इस समस्या से निपटना भारत सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। ऐसे हमलों को रोकने का कोई स्थायी हल होना चाहिए। अब समय आ चूका है कि केंद्र सरकार निर्णायक कदम उठाने के लिए अपनी कमर कस ले। अपनी ही धरती पर अपने सैनिकों को शहीद होते देखना हृदय विदारक स्थिति है। इससे देश का मन आहत है। अब भारतीय जनमानस इसका उचित प्रतिवाद चाहता है। सरकार को भी निर्णायक निर्णय लेने का समय अब आ चुका है।

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