रेल दुर्घटना से उठते सवाल

रेल दुर्घटना से उठते सवाल

केवल चार दिनों के अंतराल में दूसरे ब़डे रेल हादसे के बाद भारतीय रेल के अपने यात्रियों की सुरक्षा के रवैये पर सवाल उठाने लगे हैं्। आम तौर पर किसी भी ब़डी घटना के बाद कुछ दिनों तक सरकारी तंत्र चुस्ती से काम लेता है और कुछ समय तक सतर्कता भी बरती जाती है। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष ने नैतिकता के आधार पर अपने पद से इस्तीफा दे दिया और रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने भी अपने इस्तीफे की पेशकश की थी, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ठुकरा दिया। कैफियात एक्सप्रेस दुर्घटना के लिए सीधे तौर पर रेल प्रसाशन को जिम्मेदार नहीं ठहराया जासकता क्यूंकि मानव रहित क्रॉसिंग पर एक बालू से भरा डंपर पलट गया जिसके कारण हादसा हुआ लेकिन सिर्फ इसी तर्क से रेलवे अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकता। उत्तर प्रदेश के औरैया जिले में हुई कैफियात एक्सप्रेस की दुर्घटना को ज्यादा ब़डी नहीं कहा जाएगा, क्योंकि इसमें घायलों की संख्या भले ही ज्यादा है, लेकिन जान-माल का बहुत नुकसान नहीं हुआ लेकिन इसने उस रूट पर रेलवे के पूरे संचालन को जरूर अस्त-व्यस्त कर दिया। कई ट्रेन कैंसिल करनी प़डीं और जो लेट हुईं, वे अलग। ठीक उसी दिन जब उत्तर प्रदेश में यह दुर्घटना हुई, एक दुर्घटना अमेरिका के फिल्डेल्फिया में भी हुई। यह दुर्घटना कितनी ब़डी थी, इसका अंदाज इसीसे लगाया जा सकता है कि तेज रफ्तार से आती हुई एक ट्रेन, उसी पटरी पर ख़डी दूसरी ट्रेन से टकरा गई। टक्कर के बाद टकराने वाली ट्रेन पटरी से उतर गई और साथ ही दूसरी पटरी पर ख़डी एक अन्य ट्रेन से टकरा गई। यानी एक तरह से यह तीन ट्रेनों की टक्कर थी। इस खबर में यह भी बताया गया है कि दुर्घटना की वजह से ४२ लोगों को मामूली चोटें आईं, जिन्हें प्राथमिक उपचार के बाद भेज दिया गया। इस संबंध में आई पहली खबर का आखिरी वाक्य था कि उस क्षेत्र में रेल यातायात फिर से सामान्य हो गया है। यह ठीक है कि हम भारत और अमेरिका की ट्रेनों की तुलना बहुत ज्यादा नहीं कर सकते। हमारे देश में यात्रियों की संख्या लगातार ब़ढती जा रही है और ट्रेनों की संख्या भी बहुत ज्यादा है। भारतीय रेल बहुत ज्यादा दबाव में काम कर रही है। भारतीय रेल को अपने ढांचे में अनेक सुधार लेन की आवश्यकता है और इस दिशा में काम भी जारी है परंतु ऐसी स्थिति में भी किसी भी हादसे को हलके में लेने की गलती नहीं की जा सकती। भारतीय रेल को यह सुनिश्चित करना होगा की भविष्य में ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाया जासके। विभाग के चौतरफा विकास के साथ ही मानव संसाधन में भी सुधार की आवश्यकता है। कर्मचारियों को सतर्क और कौशल बनाने की आवश्यकता है। भारतीय रेल को सुरक्षित बनाने पर ही सरकार को अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिये।

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