शराब के नशे में पत्नी की हत्या के आरोपी को उच्च न्यायालय ने बरी किया
सुरेशा अपनी पहली पत्नी मीनाक्षी से अलग रह रहा था
बेंगलूरु/दक्षिण भारत। शराब के नशे में पत्नी की हत्या के एक आरोपी को कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बरी कर दिया। उसने निचली अदालत के आदेश को संशोधित करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष हत्या करने के आरोपी के इरादे की व्याख्या करने में सक्षम नहीं है। हालांकि, उत्तेजना की स्थिति थी, जिसने आरोपी को अपनी पत्नी को मौत के घाट उतारने के लिए उकसाया।
उच्च न्यायालय ने कहा कि अभियोजन पक्ष के साक्ष्य से पाया गया कि महिला ने खाना नहीं बनाया, जिससे आरोपी ने अचानक इतना कठोर कदम उठाया और क्रोधित हो गया। जिसके बाद उसने डंडा उठाया और चोट पहुंचाई। उसका कोई इरादा नहीं था कि यह उसकी मौत का कारण बने।कहां की है घटना?
चिक्कमगलूरु जिले के मुदिगेरे के सुरेशा ने 2017 में अपील के साथ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। न्यायालय ने माना कि आरोपी का कथित कृत्य आईपीसी की धारा 300 के अपवाद -1 के दायरे में आता है, जहां महिला की मौत गैर इरादतन हत्या थी, हत्या नहीं।
ऐसे चला मामला
बता दें कि ट्रायल कोर्ट ने सुरेशा को हत्या का दोषी ठहराया था। उसे नवंबर 2017 में आजीवन कारावास हुआ।
सुरेशा अपनी पहली पत्नी मीनाक्षी से अलग रह रहा था। इसी दौरान वह राधा नामक महिला के संपर्क में आया, जो अपने पति नंजैया से अलग हो चुकी थी। इसके बाद, सुरेश और राधा ने शादी कर ली और उनके दो बच्चे हुए।
इस बात से नाराज हुआ
साल 2016 में, सुरेशा एक त्योहार के दिन काम से वापस आया, तो देखा कि घर पर कोई तैयारी नहीं थी। पत्नी ने खाना भी नहीं बनाया था। उसे शराब की लत थी और वह सो रही थी। इस बात से नाराज सुरेश ने उसे डंडे से बुरी तरह पीटा।
उच्च न्यायालय ने पलटा फैसला
निचली अदालत के दोषसिद्धि और सजा के आदेश को संशोधित करते हुए, उच्च न्यायालय ने उसे आईपीसी की धारा 302 (हत्या) के बजाय आईपीसी की धारा-द्वितीय (गैर इरादतन हत्या) के तहत दोषी ठहराया है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि आईपीसी की धारा 304 भाग-एक के तहत दंडनीय अपराध के लिए अभियुक्त द्वारा कैद में छह साल, 22 दिन की अवधि पर्याप्त है। उसने जेल अधिकारियों को निर्देश दिया कि अगर किसी अन्य मामले में उसकी जरूरत नहीं है, तो उसे तुरंत रिहा कर दें।