कर्नाटक उच्च न्यायालय ने भ्रष्टाचार के मामले में 3 आईएएस अधिकारियों के खिलाफ जांच पर रोक लगाई

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने भ्रष्टाचार के मामले में 3 आईएएस अधिकारियों के खिलाफ जांच पर रोक लगाई

विशेष अदालत (भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम) ने इन अधिकारियों के खिलाफ यह आदेश जारी किया था


बेंगलूरु/भाषा। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने भ्रष्टाचार के एक मामले में पूर्व मुख्य सचिव टीएम विजय भास्कर समेत भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के तीन अधिकारियों के खिलाफ जांच और आगे की सभी कार्यवाही पर रोक लगा दी है। यहां की एक विशेष अदालत (भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम) ने इन अधिकारियों के खिलाफ यह आदेश जारी किया था।

उल्लेखनीय है कि 23वें अतिरिक्त नगर दिवानी एवं सत्र न्यायाधीश (विशेष न्यायाधीश) ने तीन अधिकारियों और तीन अन्य के खिलाफ निजी शिकायत पर संज्ञान लिया था। उन्होंने भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो (एसीबी) को भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत कथित अपराधों की जांच कर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था।

यह आदेश 18 अप्रैल को जारी किया गया और एसीबी को रिपोर्ट दाखिल करने के लिए चार महीने का समय दिया गया था।

ये तीन आईएएस अधिकारी हैं-अमिता प्रसाद, डॉ. ईवी रमन रेड्डी और विजय भास्कर (सेवानिवृत्त)। तीनों ने 2011 और 2015 के बीच विभिन्न पदों पर प्रधान सचिव, ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग (आरडीपीआरडी) के रूप में काम किया था। बाद में विजय भास्कर मुख्य सचिव बने।

राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम और राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन के क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए 14 नवंबर 2015 को दर्ज एक शिकायत के आधार पर छह लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया था। आरोप है कि आरोपियों ने उच्च अधिकारियों की सूचना के बिना योजनाओं के लिए आवंटित धन को अन्य बैंक खातों में भेज दिया, जिससे 269 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

मामले के लंबित रहने के दौरान आरडीपीआरडी के निदेशक बोरेगौड़ा पी और आरडीपीआर के उप सचिव रामकृष्ण के खिलाफ उसी आरोप में एक और शिकायत दर्ज की गई थी। हलसुरुगेट पुलिस ने मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी।

एस नारायणस्वामी ने 2021 में आरोपों के आधार पर तीन आईएएस अधिकारियों के खिलाफ एक निजी शिकायत दर्ज कराई। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि कर्नाटक राज्य लेखा परीक्षा और लेखा विभाग की एक ऑडिट रिपोर्ट ने पंचायती राज विभाग के तहत योजनाओं के लिए उपयोग में 3355.21 करोड़ रुपये के अंतर का संकेत दिया है।

आरोप है कि अमिता प्रसाद ने योजना के लिए 104 खाते खोलने के वास्ते स्वीकृति और आदेश दिया। रमन रेड्डी ने कथित तौर पर कोषागार से 272 करोड़ रुपये इंदिरानगर बेंगलूरु में आंध्रा बैंक में एक फर्जी खाते में स्थानांतरित करने का आदेश दिया, जिससे 55 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

शिकायत में आरोप लगाया गया है कि विजय भास्कर ने अत्यधिक राशि के उपयोग प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर किए और भारत सरकार को गुमराह किया।

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